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केसीआर की राह पर जा रहे अरविंद केजरीवाल? ऐसे नहीं करेंगे ‘शिमला समझौता’

केसीआर की राह पर जा रहे अरविंद केजरीवाल? ऐसे नहीं करेंगे 'शिमला समझौता'नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पटना में बुलाई गई बैठक के समापन पर विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। लेकिन इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। हालांकि प्रेस वार्ता में विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं। एक संयुक्त बयान में, नेताओं ने दावा किया कि वे आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। वैसे, पटना बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई और शिमला में एक और बैठक होने की संभावना है।

शुक्रवार को विपक्ष की बैठक से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला था। बैठक में आप का शीर्ष एजेंडा दिल्ली अध्यादेश था, जिसके लिए वह सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांग रही थी। उन्होंने गुरुवार को अल्टीमेटम दिया कि अगर कांग्रेस संसद के अंदर अध्यादेश पर समर्थन का वादा नहीं करती है तो आप नेता बैठक से बाहर चले जाएंगे। हालांकि बैठक तो हो गई लेकिन आप की तरफ से कोई ठोस वादा नहीं किया गया। आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को कहा कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से केंद्र द्वारा पारित अध्यादेश की निंदा नहीं करती है तो AAP के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना “बहुत मुश्किल” होगा।  यह बयान विपक्षी दलों की बैठक के बाद आया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को पटना में विपक्ष की बैठक में पार्टी के अन्य लोगों – पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ भाग लिया।

ऐसे नहीं करेंगे ‘शिमला समझौता’

आप ने एक बयान में कहा, “कांग्रेस की झिझक और टीम प्लेयर के रूप में कार्य करने से इनकार करने की स्थिति में AAP के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल हो जाएगा जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आप के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा।” AAP का इशारा शिमला में होने वाली अगली विपक्षी बैठक को लेकर है। आप ने कहा कि कांग्रेस ने अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। पार्टी ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि सबसे पुरानी पार्टी की “चुप्पी उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है”।

आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ दिनों में कई पार्टी मंचों से कांग्रेस पर हमला बोला है और अब बैठक से पहले उसने बयान जारी कर कहा कि अध्यादेश के मुद्दे पर राहुल गांधी और बीजेपी के बीच डील फाइनल हो गई है। पार्टी ने यह भी दावा किया कि अंतिम समझौते के अनुसार, कांग्रेस दिल्ली विधेयक पर मतदान के दौरान राज्यसभा से बहिर्गमन करेगी।

हालांकि इन तमाम मतभेदों के बीच अरविंद केजरीवाल ने पटना बैठक में भाग लिया। लेकिन रिपोर्टों की मानें तो वे चाहते हैं कि अन्य विपक्षी दल कांग्रेस पर अपना रुख नरम करने के लिए दबाव डालें। अगर वह ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनके पास के चन्द्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की तरह इन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प हो सकता है। जिसका मतलब यह होगा कि वह कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर हमला बोलेंगे और अपनी संगठनात्मक ताकत को अलग-अलग राज्यों में फैलाएंगे।

विस्तार के मूड में AAP

आम आदमी पार्टी इस वक्त अलग-अलग राज्यों में विस्तार के मूड में है। पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह साल के अंत में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव लड़ने जा रही है। लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है, भले ही विपक्ष एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़े। इन सभी राज्यों में कांग्रेस की स्थानीय इकाई आम आदमी पार्टी को कोई भी सीट देने को तैयार नहीं है। इसका मतलब यह है कि तथाकथित विपक्षी एकता की सारी बातें अरविंद केजरीवाल के लिए कोई मायने नहीं रखेंगी।

शिमला में अगली बैठक 

विपक्ष के 15 राजनीतिक दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए साझा रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार को मैराथन बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे। विपक्षी दलों की अगली बैठक अगले महीने शिमला में होगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई, जिसमें करीब 30 विपक्षी नेताओं ने भाग लिया।

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