लखनऊ। विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार अखिलेश यादव को झटके पर झटका लग रहा है। नगर निकाय चुनाव में बुरी तरह हारी समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले एक दिन में दो झटके और मिले हैं। पहला झटका आजम खान से जुड़ा है तो दूसरा विधायक दारा सिंह। आजम खान को हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है तो वहीं घोसी से सपा विधायक दारा सिंह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। 2024 से पहले यूपी की राजनीति में हो रहे बदलाव अखिलेश की राह में मुश्किलें खड़ा कर सकता है।
मध्यप्रदेश पर अखिलेश की नजर, यूपी में भाजपा न चल दी चाल
लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने पूरा जोर मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर लगा रखा है। दरअसल सपा दूसरे राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसको लेकर सपा ने पड़ोसी राज्यों में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। सपा उन जगहों पर पहुंच रही हैं जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर अखिलेश यादव ने कमर कस ली है। पार्टी सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव 5 व 6 अगस्त को मध्यप्रदेश के खजुराहो भी जाएंगे। यहां वह सपा कार्यकर्ता शिविर में शामिल होंगे। अगले दिन वह खजुराहो में रैली कर चुनावी हुंकार भी भरेंगे और पीडीए का संदेश देंगे। यूं तो सपा काफी समय से वहां अपनी गतिविधियां बढ़ाने में लगी है, लेकिन अब विपक्षी एका की मुहिम के चलते उन्हें यहां भी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। दूसरे प्रदेशों में जुटी सपा को लेकर भाजपा ने यूपी में फायदा उठाया है। अखिलेश की जरा सी नजर हटी तो भाजपा ने यूपी में अपनी चाल चल दी है। लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा ने दूसरे दलों में सेंधमारी का काम तेज कर दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य की रणनीति कितना असर?
पिछले दिनों अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अनुसूचित यानी पीडीए का गठन किया है। इसके गठन के पीछे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए स्वामी प्रसाद मौर्य की रणनीति बताई जा रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो 2014 में अब तक पिछड़ा वोट बैंक को अपने पाले में रखने में कामयाबी हासिल की है। गैर यादव ओबीसी समाज का बड़ा हिस्सा भाजपा के पाले में रहा है। कभी बसपा और फिर भाजपा में रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए सपा वोट बैंकों में भी सेंधमारी कर चुकी है। दारा सिंह चौहान के इस्तीफे से एक बार फिर सपा में बेचैनी बढ़ गई है।
लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं दारा सिंह
भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हुए दारा सिंह ने शनिवार को सपा से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि दारा सिंह फिर से भाजपा का दामन थाम सकते हैं। 2024 से कुछ महीने पहले दारा सिंह के इस्तीफे को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। चर्चा है कि दारा सिंह भाजपा की टिकट से मऊ या फिर उसके आसपास की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकता है। दारा सिंह ने बसपा में शामिल होकर अपना राजनीतिक करिअर की शुरुआत की थी। 1996 और 2000 में दारा सिंह राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। दारा सिंह ने 2009 में बसपा की टिकट पर घोसी सीट से चुनाव लड़ा था। 2015 में दारा सिंह ने बसपा को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दारा सिंह स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा में शामिल हो गए। थे।
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