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जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ED की गिरफ्त में: कहा जाता था UPA सरकार के एविएशन मंत्री का दुलारा, ₹538 करोड़ के बैंक फ्रॉड की पूरी कहानी

ईडी का नरेश गोयल पर शिकंजाजेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में शुक्रवार (1 सितंबर, 2023) को गिरफ्तार किया। इस मामले में उन पर केनरा बैंक के साथ 538 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप हैं।

उन्हें पूछताछ के लिए ईडी दिल्ली से मुंबई लेकर आई थी और इसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई। यहाँ उनसे कई घंटों पूछताछ की गई, लेकिन, जानकारी के मुताबिक, उन्होंने इस दौरान जाँच अधिकारियों को सहयोग नहीं किया। शनिवार (2 सितंबर, 2023) को ईडी गोयल को मुंबई में प्रीवेन्शन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की विशेष अदालत में पेश करने जा रही है। वहाँ ईडी उनकी हिरासत की माँग करेगी।

CBI की एफआईआर पर हुआ केस दर्ज

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 3 मई को जेट एयरवेज के नरेश गोयल, उनकी पत्नी अनीता और कंपनी के कुछ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई थी। सीबीआई ने ये एफआईआर गोयल पर केनरा बैंक के कथित 538 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के आरोप के बाद दर्ज कराई थी।

एफआईआर में सीबीआई ने गोयल के खिलाफ आपराधिक साज़िश रचने, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक कदाचार के आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया है कि बैंक को इसकी वजह से ही 538.62 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

बैंक ने इस मामले में सीबीआई से संपर्क किया था। बैंक ने एजेंसी को कहा था कि उसने जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड (जेआईएल) को 848.86 करोड़ रुपए की क्रेडिट सीमा का कर्ज दिया था। इसमें नरेश गोयल ने 538.62 करोड़ रुपए चुकाए ही नहीं है।

केनरा बैंक ने 1 अप्रैल, 2011 से लेकर 19 जून, 2019 के बीच गोयल की कंपनियों से जुड़े खातों का फोरेंसिक ऑडिट किया। इसमें पैसों के डायवर्ट करने और धांधली की बात सामने आई। बैंक का आरोप है कि कंपनी के फॉरेंसिक ऑडिट में पता चला की गोयल ने अपनी अन्य कंपनियों को 1410.41 करोड़ रुपए कमीशन के तौर पर भुगतान किए थे।

इस तरह से उसने जेट एयरवेज का पैसा बाहर भेजा। इतना ही नहीं सहयोगी कंपनियों को कर्ज व अन्य निवेस के जरिए भी पेमेंट किया, लेकिन बैंक का पैसा नहीं चुकाया। ये रिपोर्ट बैंक ने 2021 में जारी की थी।

दो साल पहले ही जेआईएल का खाता फ्रॉड घोषित

सीबीआई के मुताबिक, जेआईएल के खाते को 29 जुलाई, 2021 में फ्रॉड घोषित कर दिया गया था। उसने जेट एयरवेज और उसके संस्थापकों पर धन की हेराफेरी का आरोप लगाया है। एजेंसी के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2011 से 30 जून, 2019 के बीच, एयरलाइन ने पेशेवर और परामर्श खर्च पर 1152.62 करोड़ रुपए खर्च किए।

जाँच में पाया गया कि जेट एयरवेज ने व्यावसायिक और परामर्श व्यय में कुल 1152.62 करोड़ में से 420.43 करोड़ रुपए का भुगतान उन संस्थाओं को किया। जिनकी कारोबारी प्रकृति उनके चालान (Invoices) में मौजूद सेवा देने के विवरण से मेल नहीं खाती थी। एफआईआर में कहा गया है कि यहाँ तक कि गोयल परिवार के निजी खर्च, जैसे कर्मचारियों का वेतन, फोन बिल और वाहन खर्च आदि का पेमेंट भी जेआईएल से किया जाता था।

जब पड़े ईडी और सीबीआई के छापे

जेट एयरवेज और नरेश गोयल पर केनरा बैंक से धोखाधड़ी के आरोपों पर एफआईआर दर्ज करने के बाद सीबीआई ने इस सिलसिले में नरेश गोयल के ठिकानों पर छापेमारी की। चार महीने पहले ही 5 मई, 2023 को सीबीआई ने जेट एयरवेज के संस्थापक के परिसरों और एयरलाइन के पुराने कार्यालयों पर छापे मारे थे। इसके बाद इस मामले में ईडी ने जुलाई 2023 में गोयल और उनके सहयोगियों से जुड़े आठ स्थानों की भी तलाशी ली थी।

जेट एयरवेज के मशहूर होने का दौर

ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले एनआरआई कारोबारी नरेश गोयल ने अपने कारोबार में जमीन से आसमान का सफर तय किया। उन्होंने साल 1992 में जेट एयरवेज स्थापित किया। उन्होंने महज दो बोइंग 737 के साथ देश की इस पहली निजी एयरलाइन ने शुरू हुई।

घरेलू स्तर पर इसकी उड़ाने 1995 में शुरू हुई थी। इसी ने पहली बार ऑफर्स के जरिए सस्ते हवाई टिकट देने की पहल की थी। इससे देखते ही देखते एयरलाइन की दुनिया में ये एक मशहूर ब्रांड बनकर उभरी और 2004 में इसने अंतराष्ट्रीय उड़ाने भी शुरू कर दी।

इस निजी एयरलाइन कंपनी का इस सेक्टर में 2016 तक जलवा था। फरवरी 2016 तक इसका देश के 21.2 प्रतिशत एयर पैसेंजर बाजार में एकछत्र राज था। एक दिन में ही दुनिया के 55 से भी अधिक जगहों तक के लिए जेट एयरवेज की लगभग 300 उड़ाने जाती थीं, लेकिन इसके ये अच्छे दिन ज्यादा दिन नहीं चले।

शुरू हुई दिवालिया होने की कहानी

इसकी शुरुआत साल 2006 से उस वक्त हुई जब जेट एयरवेज ने सहारा एयर लाइन 2250 करोड़ रुपए की सबसे बड़ी एविएशन डील को अंजाम दिया। इसे भी इस एयरलाइन के बुरे दिनों की शुरुआत के तौर पर देखा गया।

इसके साथ साल 2008 की मंदी के साथ ही कम किराए के लिए एविशन सेक्टर में एयरलाइन्स के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा ने जेट एयरवेज की कमर तोड़ने में कसर नहीं छोड़ी। घरेलू एविएशन सेक्टर को दरकिनार कर अतंरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान देने की वजह से जेट एयरवेज के हालात खराब होते चले गए।

रही-सही कसर एयरलाइंस सेक्टर के खराब हालातों ने पूरी कर दी। फिर ऐसा वक्त आया कि कंपनी को कर्ज लेने की नौबत आ गई और कर्ज की वजह से ये एयरवेज दिवालिया होने की कगार पर पहुँच गई। ऐसे में खाड़ी देशों की एतिहाद एयरलाइन ने मदद के लिए आगे आई और इसके 24 फीसदी शेयर खरीदे, लेकिन कंपनी हालात फिर भी बिगड़ती चली गई।

जेट एयरवेज एसबीआई सहित कई बैंकों के कर्ज तले दबती चली गई। ऐसा भी वक्त आया कि उड़ानें बंद करनी पड़ी। मार्च 2019 में नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने कंपनी बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके साथ ही अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज़ एयरलाइंस की उड़ानें बंद हो गईं।

साल 2019 में जब कंपनी ने अपनी उड़ाने बंद की। तब इस पर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया सहित कई सरकारी कंपनियों का लगभग 8000 करोड़ रुपए का कर्ज था। इसके साथ जून 2019 में क़र्ज़दारों के समूह ने इसके दिवालिएपन की प्रकिया शुरू कर दी।

लंबी चली दिवालिया प्रक्रिया के बाद जून 2021 में यूएई के कारोबारी मुरारी लाल जालान और लंदन स्थित कालरॉक कैपिटल के बीच साझेदारी ने जेटएयरवेज का अधिग्रहण कर लिया। नरेश गोयल की कंपनी जेट एयरवेज़ (इंडिया) लिमिटेड साल 2005 से कैनरा बैंक से कर्ज़ लेती रही है। ये कर्ज जेट एयरवेज को स्टेट बैंक के नेतृत्व के कंसोर्टियम के तहत बैंकों ने दिए।

बैंक से ये कर्ज जेट एयरवेज़ ने लैंडिंग, नैविगेशन, एयरपोर्ट पर दी जाने वाली सुविधाओं, आयात किए जा रहे विमानों को किराए पर लेने के लिए सिक्योरिटी डिपोज़िट जैसे खर्चों के लिए लिया था। इसके साथ ही ये कर्ज रूट पर विमान उड़ाने और प्रमोशन के लिए था।

सीबीआई का आरोप है कि एयरलाइन ने पैसा इन मदों पर खर्च नहीं किया। जबकि जेट एयरवेज का कहना है कि अगस्त 2018 से कंपनी विमानों को उड़ानों के लिए आर्थिक दिक्कतों सामना कर रही है। कंपनी पर पड़े बोझ की वजह से वो वक्त पर कर्ज़ की अपनी किश्त नहीं चुका सकी।

केनरा बैंक की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज़ का पैसा तीन तरीकों से निकाला गया था। पहला कमीशन पर होने वाले खर्च के तौर पर, दूसरा, गोयल की ही एक और कंपनी जेट लाइट (इंडिया) लिमिटेड में निवेश के लिए और तीसरा कंसल्टेन्सी फ़ीस देने के लिए।

इसी वजह से केंद्रीय बैंक आरबीआई ने 29 जुलाई 2021 को कंपनी के अकाउंट को फर्ज़ी करार दिया। आरबीआई ने कहा कि इसके ज़रिए 728.6 करोड़ रुपए की धांधली की गई है। जिसमें से 538.62 करोड़ रुपए कैनरा बैंक के हैं, जबकि 190 करोड़ रुपए सिंडीकेट बैंक के है। गौरतलब है कि साल 2020 अप्रैल में सिंडीकेट बैंक का कैनरा बैंक में विलय हो गया था।

प्रफुल्ल पटेल जब आए थे नरेश गोयल के बचाव में

साल 2006 में, तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल नरेश गोयल के नेतृत्व वाली एयरलाइन जेट एयरवेज के बचाव में खुलकर सामने आए थे। इसके लिए उन्हें ‘नरेश गोयल का उड्डयन मंत्री’ कहा गया। उस वक्त एक केंद्रीय मंत्री के लिए एक निजी कंपनी के लिए वकालत करना और इस तरह खुले तौर पर बोलना हैरानी भरा था।

साल 2006 के नवंबर में तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और NCP नेता प्रफुल्ल पटेल सब दरकिनार कर नरेश गोयल की एयरलाइन्स जेट एयरवेज के बचाव में उतर आए थे। उन्होंने इस एयरलाइन के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। तब उन्होंने दावा किया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्तावित उड़ान में ‘अनावश्यक देरी’ की जा रही है।

उनका कहना था कि ये देरी निराधार सुरक्षा चिंताओं के वजह से हुई। उन्होंने कहा था, “अगर जेट को भारत में सुरक्षा मंजूरी मिल गई है, तो हम गैर-जरूरी तौर पर इसमें देरी क्यों कर रहे हैं। गृह मंत्रालय से उचित मंजूरी के बाद भारत में परिचालन की मंजूरी मिलने के बाद, अमेरिका के लिए उसकी उड़ान में देरी क्यों हो रही है?”

वह इतने पर ही नहीं रुके थे। उन्होंने कहा था, “हमारे लिए, भारत की सुरक्षा चिंता बेहद महत्वपूर्ण है। यदि किसी एयरलाइन को घरेलू परिचालन के लिए सुरक्षा मंजूरी दे दी गई है, तो मुझे किसी अन्य देश के लिए इस पर संदेह करने का कोई कारण नहीं दिखता है।” दिलचस्प बात यह है कि उस समय, गोयल के स्वामित्व वाली एयरलाइन न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को और कुछ अन्य गंतव्यों के लिए बढ़ती उड़ानों के लिए सरकार से स्लॉट मांग रही थी।

पटेल के खिलाफ ये आरोप कुख्यात राडिया टेप में भी दर्ज किए गए थे। जहाँ जदयू के पूर्व राज्यसभा सांसद ने पटेल को ‘नरेश गोयल का मंत्री’ कहा था। आउटलुक पत्रिका में तब प्रकाशित खबर के अनुसार, लॉबिस्ट नीरा राडिया और जदयू संसद के बीच कथित बातचीत पटेल को लेकर बेहद तीखी थी।

इसमें राडिया को यह पूछते हुए सुना जाता है, “लेकिन उन्होंने (पटेल ने) सेक्टर को बर्बाद कर दिया है। मुझे खेद है…इस पर मेरी राय है। उन्होंने सेक्टर के साथ न्याय नहीं किया है।” फिर तत्कालीन संसद को जवाब देते हुए सुना जाता है, “मुझे लगता है कि उन्होंने नरेश गोयल (जेट एयरवेज) के लिए मंत्री के तौर में काम किया है।”

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