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राजस्थान चुनावः जानिए, सत्ता वापसी की बाट जोह रही कांग्रेस के लिए क्या है सबसे बड़ी चिंता

जयपुर। राजस्थान में सत्ता वापसी का फार्मूला तलाश रही कांग्रेस के लिए घटता वोट प्रतिशत बेहद चिंताजनक है. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के नेता वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लेकर मंथन की कवायद में जुटे हैं. अगर पिछले तीन दशक की बात की जाए तो कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 13 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है. वैसे तो राजस्थान में कांग्रेस की खराब स्थिति के कई सारे कारण है लेकिन घटता वोट प्रतिशत सबसे बड़ी चिंता का सबब है. ज्यादा समय पुरानी बात नहीं तीन दशक पहले तक कांग्रेस की राजस्थान की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी.

राजस्थान में उसका एकछत्र राज हुआ करता था. लेकिन इन तीन दशक में राजस्थान में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में 13% से अधिक की गिरावट आ गई है और सत्ता से बाहर होने की वजह से कांग्रेस अपने वोट प्रतिशत में सुधार भी नहीं कर पा रही है. कांग्रेसी नेता सीपी जोशी सहित कई दिग्गज नेता भी अब अलग अलग मंच से घटते वोट प्रतिशत पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. कांग्रेस के तमाम नेता समझते हैं और कि बिना वोट प्रतिशत को बढ़ाएं सत्ता में वापसी करना बेहद मुश्किल है. लेकिन कांग्रेस अभी तक उस फार्मूले की तलाश नहीं कर पाई है जिसके जरिए सत्ता की चाबी हासिल की जा सके.

हालांकि अलग-अलग जातियों और वर्ग के सम्मेलन के जरिए कांग्रेस भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश कर रही है. पिछले उपचुनाव में कुछ हद तक इस में कामयाबी भी मिल पाई थी. लेकिन फिर भी कांग्रेस के भीतर चल रही अंतरकलह से एकजुटता की कमी साफ नजर आ रही है. कांग्रेस का मूल वोट बैंक दलित मुस्लिम और ओबीसी भी कांग्रेस के पक्ष में अब नहीं रहा है. ऐसे में अगर चुनाव में कांग्रेस को अपने पुरानी दिनों की परफॉर्मेंस दौहरानी है तो अपनी जड़ों की तरफ फिर से लौटना होगा.

1951 से 1895 तक कांग्रेस रहा एकछत्र राज
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव 1951 में राजस्थान में कांग्रेस को 82 सीटें मिली थी जिसमें कांग्रेस का वोट प्रतिशत था 39. 46. इसमें कांग्रेस लगातार इस वोट प्रतिशत में साल-दर-साल इजाफा करती गयी. 1980 में राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार कांग्रेस गढ़ माने जानी वाली सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन फिर भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत 42. 96 बरकरार रहा था. कांग्रेस ने इस चुनाव में133 सीटें हासिल की थी. 1985 के चुनाव में भी कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी. राजस्थान में इस चुनाव में कांग्रेस ने सबसे अधिक प्रतिशत 46.57 के साथ 113 सीट जीतने में कामयाब रही थी. भाजपा ने इस चुनाव में 21 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 39 सीटें जीती थी. इस चुनाव के बाद से लगातार राजस्थान में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में गिरावट आती चली गई.

1990 के चुनाव से कांग्रेस के बुरे दिन हुए थे शुरू
1990 के चुनाव में कांग्रेस को महज 50 सीटें मिली थी जबकि वोट प्रतिशत रह गया था 33. 64. जबकि बीजेपी ने चुनाव में 22. 25 वोट प्रतिशत के बावजूद 85 सीटें हासिल की थी. 1993 के चुनाव में कांग्रेस ने वोट प्रतिशत में कुछ बढ़ोतरी की थीं. कांग्रेस ने 38.27 के वोट प्रतिशत के साथ 76 सीटें हासिल की थी जबकि बीजेपी ने 95 सीटें प्राप्त की थी और इसके लिए उसके पास था 38.6 वोट प्रतिशत.

1998 के चुनाव में कांग्रेस ने की थी कुछ हद तक वापसी
1998 के चुनाव की अगर बात करें तो कांग्रेस वोट प्रतिशत में सुधार करने में कामयाबी रही थी. यही कारण था कि कांग्रेस के पास इस चुनाव में 153 सीटें थीं और वोट प्रतिशत 44.95 था जबकि बीजेपी ने 33.23 वोट प्रतिशत के साथ 33 सीटें जीती थीं. लेकिन इस के बाद के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति फिर से खराब होती चली गई. 2008 के चुनाव में कांग्रेस के पास 96 सीटें थी लेकिन वोट प्रतिशत घटकर 36. 82 ही रह गया था बीजेपी ने चुनाव में 78 सीटें जीती थी उसके वोट प्रतिशत में भी लगातार इजाफा हो रहा था. इस चुनाव में भाजपा ने 34. 27 वोट शेयर हासिल किया था.

2013 में रही सबसे खराब परफॉर्मेंस
2013 के इलेक्शन में भी कांग्रेस की स्थिति खराब रही. इस साल भी वोट प्रतिशत में कमी आई. इस चुनाव में कांग्रेस ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया था. कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट गई थी और वोट प्रतिशत में भी गिरावट दर्ज की गई. कांग्रेस के पास 33. 67 वोट प्रतिशत था. जबकि बीजेपी ने 163 सीटें हासिल की और वोट प्रतिशत रहा अब तक का सबसे ज्यादा 45.17 प्रतिशत.

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