लखनऊ। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने देवरिया शेल्टर होम कांड पर यूपी सरकार को आज सख़्त फटकार लगाते हुए इसकी सीबीआई जांच की मॉनिटरिंग अपने हाथ में ले ली. कोर्ट ने सरकार से करीब एक दर्जन सख़्त सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने पूछा है की बच्चियां जिन लाल और सफेद गाड़ियों में ले जाई जाती थीं वे किसकी थीं? इस सेक्स रैकेट के पीछे कहीं नेता और वीआईपी तो नहीं हैं? 13 तारीख को सरकार को अदालत में जवाब देना है.
देवरिया के शेलटर होम में लड़कियों के साथ हुए कथित यौन शोषण मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त हो गया है. हाइकोर्ट ने यौन शोषण मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और सीबीआई के वकील से जवाब तलब किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जांच की निगरानी स्वयं करने का निर्णय किया है. मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने कथित यौन शोषण और लड़कियों के लापता होने संबंधी विभिन्न मीडिया रिपोर्टों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है.
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त तय करते हुए सीबीआई के वकील ज्ञान प्रकाश और उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि आश्रय गृह की सभी लड़कियों के बयान की प्रति सुनवाई की अगली तारीख से पहले अदालत में पेश किया जाए. पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि इस मामले की जांच कर रहे एक जिम्मेदार अधिकारी अगली तारीख पर अदालत में हाजिर रहें.
अदालत ने वकीलों से यह अवगत कराने को कहा कि क्या आश्रय गृह में या इसके आसपास कोई सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, साथ ही उन कारों के मालिकों के बारे में भी अवगत कराए जाने को कहा जिनका उपयोग मीडिया की खबरों के मुताबिक, नाबालिग लड़कियों को रात्रि में आश्रय गृह से ले जाने के लिए किया जाता था. उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत को बताया गया कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र भेजा गया है. अतिरिक्त महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार मंजूरी मिलते ही इस मामले को तत्काल सीबीआई को ट्रांसफर कर देगी. महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए देवरिया के तत्कालीन जिलाधिकारी का तुरंत तबादला कर दिया गया.