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एशियाई पिचों पर कैसे सिकंदर हो जाते हैं शिखर और रोहित शर्मा

पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे मैच में शिखर धवन और रोहित शर्मा ही भारी पड़ गए. दोनों बल्लेबाजों ने शानदार शतक लगाया और भारत को 9 विकेट से बड़ी जीत दिलाई. शिखर धवन इस सीरीज में इससे पहले भी हॉंगकॉंग के खिलाफ शतक ठोक चुके हैं. पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में भी दोनों बल्लेबाजों ने जिम्मेदारी से बल्लेबाजी की थी. उस मैच में कप्तान रोहित शर्मा ने हाफसेंचुरी लगाई थी. भारतीय टीम की जीत या भारतीय खिलाड़ियों के शतक को देखकर क्रिकेट फैंस को जमकर खुशी होती है.

लेकिन एशिया कप के मैचों को देखकर एक सवाल हर किसी के मन में आता है कि एशियाई पिचों पर आते ही इन बल्लेबाजों की चमक कैसे बढ़ जाती है. वही बल्लेबाज, वही बल्ला, वही बाइस गज की पट्टी लेकिन ऐसा लगता है कि इन बल्लेबाजों को आउट करना असंभव सा है. चूंकि रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी ठीक ठाक समय से भारत के लिए सलामी जोड़ी का रोल निभा रही है इसलिए भी इन दोनों का जलवा ज्यादा नजर आता है.

आपको बता दें कि रोहित शर्मा और शिखर धवन की जोड़ी ने हाल ही में सबसे कामयाब सलामी जोड़ी की फेहरिस्त में भी जगह बनाई है. पाकिस्तान के खिलाफ पिछले मैच में उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए पहले विकेट के लिए रिकॉर्ड साझेदारी की. इसके अलावा शतकीय साझेदारी के मामले में उन्होंने सचिन और सहवाग की जोड़ी को पीछे छोड़ दिया है. वनडे क्रिकेट में शिखर धवन और रोहित शर्मा की जोड़ी अब सिर्फ सचिन तेंडुलकर और सौरभ गांगुली की जोड़ी से पीछे है.

विदेशी पिचों पर नहीं चलता जादू
ये वही बल्लेबाज हैं जो विदेशी पिचों पर अक्सर गलती करते हैं. हाल ही में इंग्लैंड के दौरे पर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था. इंग्लैंड के दौरे में रोहित शर्मा ने एक वनडे मैच में शतक जड़ा था. उसके बाद अगले दो मैचों में उनके बल्ले से 15 और 2 रन बने थे. इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भी रोहित शर्मा की हालत कुछ ऐसी ही थी. सीरीज के एक मैच में शतक को छोड़ दिया जाए तो बाकि मैचों में वो 15-20 रन बनाकर जूझ रहे थे.

कुछ ऐसी ही हालत शिखर धवन की भी है. शिखर धवन को इंग्लैंड में तीनों वनडे मैचों में अच्छी शुरूआत मिली. उन्होंने 40, 36 और 44 रन बनाए लेकिन अपनी पारी को वो शतक में तब्दील करने में नाकाम रहे. कुछ ऐसी ही समस्या टेस्ट सीरीज में भी देखने को मिली थी. टेस्ट सीरीज में भी शिखर धवन को लगातार अच्छी शुरूआत मिलती रही लेकिन वो कोई भी बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे. जो भारतीय टीम की हार की बड़ी वजह भी थी.

बेहद औसत आंकड़ों के साथ इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में शिखर धवन का एक पारी में सर्वाधिक स्कोर 44 रन था जो उन्होंने नॉटिंघम टेस्ट मैच में बनाया था. जिस टेस्ट मैच में भारत को जीत मिली थी. उससे पहले दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर फिर भी शिखर धवन का प्रदर्शन अच्छा था. जहां उन्होंने वनडे सीरीज में एक शतक और 2 अर्धशतक लगाया था.

गेंद और पिच का है सारा कमाल
दरअसल सबसे बड़ा खेल गेंद और पिच का है. वनडे क्रिकेट में इस्तेमाल की जाने वाली सफेद गेंद टेस्ट मैच की लाल गेंद के मुकाबले कम हिलती है. यानी वनडे क्रिकेट की गेंद में स्विंग या सीम उतना नहीं होता जितना टेस्ट मैच की लाल गेंद में. उस पर से एशियाई पिचों पर तो गेंद स्विंग और सीम ना होने के साथ साथ ज्यादा उछाल भी नहीं लेती. यानी बल्लेबाज को पता है कि गेंद विकेट पर टप्पा खाने के बाद किसी तरह का ‘मिसबिहेव’ नहीं करेगी. मतलब टप्पा खाने के बाद गेंद किसी तरह की परेशानी नहीं पैदा करेगी.

इसके अलावा एशिया कप में इन बल्लेबाजों को एक और बड़ा फायदा ये है कि उन्हें एक ही मैदान में खेलना है. जबकि बाकि की टीमें दुबई के अलावा आबूधाबी में भी खेलेंगी. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की टीम ने इस बात का विरोध भी किया कि आखिर भारतीय टीम को एक ही मैदान में अपने सभी मैच खेलने की सहूलियत क्यों दी जा रही है?

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