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श्रीलंका में गहराया सियासी संकट, कोलंबो में मंत्री को अगवा करने की कोशिश, फायरिंग

कोलम्बो । श्रीलंका में गहराते राजनीतिक संकट के बीच राजधानी कोलंबो में फायरिंग की खबर आई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति सिरीसेना के समर्थकों ने बर्खास्त सरकार के  पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को अगवा करने की कोशिश की, इसके बाद रणतुंगा के बॉडीगॉर्ड ने गोलियां चलाईं. फायरिंग में 3 लोग घायल हुए हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक गोली चलाने वाले गार्ड को गिरफ्तार कर लिया गया है.रिपोर्ट के मुताबिक जब अर्जुन रणतुंगा अपने सरकारी ऑफिस सिलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन में घुसने जा रहे थे उसी दौरान हंगामा हुआ, तभी उनके गार्ड ने गोली चलाई. पुलिस प्रवक्ता रुवान गुनसेकरा के मुताबिक सिलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के बाहर पुलिस की तैनाती कर दी गई है. इस वक्त कोलंबो में हालात तनावपूर्ण हैं.

इस बीच श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने संकट में घिरे रानिल विक्रमसिंघे को बड़ी राहत देते हुए रविवार को उन्हें देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता दे दी. यूएनपी नेता विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया था.

ANI

@ANI

Three people were injured in Sri Lanka’s Colombo today when a security guard of parliamentarian Arjuna Ranatunga, former petroleum minister under ousted prime minister Ranil Wickremesinghe’s sacked cabinet, opened fire, reports Reuters

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सिरीसेना को लिखे एक पत्र में जयसूर्या ने 16 नवंबर तक सदन को निलंबित करने के उनके फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इससे देश को “गंभीर एवं अवांछनीय” परिणाम भुगतने पड़ेंगे. उन्होंने राष्ट्रपति से विक्रमसिंघे को सरकार के नेता के तौर पर मिले विशेषाधिकार फिर से बहाल करने को कहा.

विक्रमसिंघे के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने “लोकतंत्र एवं सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल किया है.” संसद के स्पीकर ने कहा कि संसद को निलंबित करने का फैसला स्पीकर के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए. जयसूर्या ने कहा, “16 नवंबर तक संसद भंग रखने से हमारे देश को गंभीर एवं अवांछनीय परिणाम भुगतने होंगे और मैं आपसे विनम्र आग्रह करता हूं कि इस पर फिर से विचार करें.”

कारु जयसूर्या ने कहा, “मेरे विचार से, यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपका ध्यान उस प्रक्रिया की तरफ आकर्षित करूं जिसके तहत संसद स्थगित करने का फैसला अध्यक्ष के परामर्श से लिया जाना चाहिए.” अध्यक्ष ने विक्रमसिंघे की सुरक्षा वापस लेने के सिरीसेना के फैसले पर भी सवाल उठाए.

जयसूर्या ने सिरीसेना को शुक्रवार की रात विक्रमसिंघे की जगह पूर्व राजनीतिक दिग्गज महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद से देश के कुछ संस्थानों को बलपूर्वक नियंत्रण में लेने की घटनाएं भी याद दिलाईं.

इधर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वाच ने रविवार को कहा कि महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने के श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के फैसले से इस देश के एक बार फिर से गलत रास्ते पर जाने का डर पैदा हो गया है.

संगठन की एशिया निदेशक ब्रॉड एडम्स ने कहा, “पूर्व के अपराधों पर किसी न्याय के बगैर ही राजपक्षे की सत्ता के उच्च पद पर वापसी से श्रीलंका में मानवाधिकारों के बारे में चिंताएं सामने आई हैं.” मानवाधिकारों पर निगाह रखने वाले इस संगठन ने कहा कि मौजूदा श्रीलंका सरकार “राजपक्षे के शासनकाल में हुये युद्ध अपराधों के पीड़ितों को न्याय दिलाने में विफलता पूर्व दोषियों के लिए गलत रास्तों पर लौटने का रास्ता खोलती है.”

भारत ने रविवार को कहा कि वह श्रीलंका में राजनीतिक गतिविधियों पर करीबी नजर रखे हुये है और उसे उम्मीद है कि द्वीपीय देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा.

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