Wednesday , May 15 2024

मोहम्मद कैफ ने टीम इंडिया के इस ‘नियम’ पर उठाए सवाल, कहा- ऐसे खिलाड़ियों को बाहर नहीं किया जा सकता

भुवनेश्वर। पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का कहना है कि टीम में जगह बनाने के लिए सिर्फ ‘यो-यो’ फिटनेस टेस्ट को पैमाना बनाए जाने की जगह ज्यादा संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए. पिछले कुछ वर्षों से यो-यो टेस्ट में 16.1 अंक हासिल करने वाले खिलाड़ियों का भारतीय टीम में चयन होता है. मोहम्मद कैफ ने यहां एकामरा खेल साहित्य महोत्सव के मौके पर कहा, ”फिटनेस काफी अहम है क्योंकि उससे हमारी फील्डिंग के स्तर में काफी सुधार हुआ है. लेकिन इस में ज्यादा संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए.” अपने समय में टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक रहे कैफ ने कहा, ”अगर खिलाड़ी रन बना रहा है और विकेट ले रहा है तो सिर्फ यो-यो टेस्ट में नाकाम होने के कारण उसे टीम से बाहर नहीं किया जा सकता.”

अंबाती रायडू इसके सबसे ताजा उदाहरण हैं, जिन्होंने आईपीएल में 600 से ज्यादा रन बनाने के बाद दो साल बाद राष्ट्रीय टीम में जगह पक्की की लेकिन यो-यो टेस्ट में नाकाम होने के कारण उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा. इस फिटनेस टेस्ट में सफल होने के बाद हालांकि उन्हें एशिया कप की टीम में चुना गया.

कैफ ने कहा, ‘‘हमारे समय में ‘बीप’ नाम का फिटनेस टेस्ट होता था जिसमें यह पता किया जाता था कि टीम में कौन सा खिलाड़ी सबसे फिट है लेकिन इस टेस्ट अच्छा नहीं करने वाले खिलाड़ियों को कभी टीम से बाहर नहीं किया गया. ऐसे खिलाड़ियों को यह बताया जाता था कि आपका फिटनेस स्तर अच्छा नहीं है और अगले कुछ महीने में उसे सुधार करना होगा.

बता दें कि ‘यो-यो’ टेस्ट को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुका है. बीसीसीआई और सीओओ की भी इस टेस्ट को लेकर राय एकमत नहीं है. अंबाती रायडू के यो-यो टेस्ट में फेल होने के बाद उन्हें इंग्लैंड दौरे से बाहर कर दिया गया था. इसके बाद बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने भी सीओए को छह पेज का पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने पूछा गया कि यो यो टेस्ट कब और कैसे चयन के लिये एकमात्र फिटनेस मानदंड बन गया.

कोच शास्त्री और कप्तान कोहली हैं पक्षधर
भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए यो-यो टेस्ट को बेंचमार्क मानने वाले मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली का कहना है कि आप टेस्ट पास कीजिए और भारत के लिए खेलिए. शास्त्री ने स्पष्ट किया कि यो-यो टेस्ट बरकरार रहेगा और कोहली ने भी कहा कि इसे भावुक होने के बजाय ‘कड़े फैसले’ के रूप में देखा जाना चाहिए जिससे टीम को फायदा ही मिलेगा.

चयन का प्रमुख आधार है यो-यो टेस्ट 
बता दें कि भारतीय क्रिकेट टीम में चुने जाने का वर्तमान में जो क्राइटेरिया है, उसमें यो-यो टेस्ट प्रमुख है. यदि आप यो यो टेस्ट क्लीयर नहीं कर सकते तो टीम इंडिया से दूर रहिए. हाल ही में ऐसे खिलाड़ियों की सूची बनाई गई है जो 16.1 के मानक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. ये खिलाड़ी अनफिट घोषित कर दिए गए हैं. यानी इनका टीम में चयन नहीं होगा. टीम के प्रमुख कोच रवि शास्त्री ने शनिवार को यह साफ किया कि यदि कोई सोच रहा है कि यो यो टेस्ट के बिना भी टीम में शामिल हुआ जा सकता है तो वह गलत है.

कई पूर्व क्रिकेटर इस मानक से सहमत नहीं
हालांकि, बहुत से पूर्व क्रिकेटर और कुछ चयनकर्ता भी इन मानकों से सहमत नहीं हैं. इनका मानना है कि चयन के लिए फिटनेस टेस्ट ही एकमात्र जरूरी नहीं होना चाहिए. लेकिन टीम प्रबंधन इस बात की परवाह नहीं करता कि पूर्व क्रिकेटर क्या सोच रहे हैं. हालांकि, यो यो टेस्ट की खोज करने वाले शख्स भी इस वात से इत्तेफाक रखते हैं कि यो-यो टेस्ट सलेक्शन का मानक नहीं है.

क्या है यो-यो टेस्ट
यो यो टेस्ट के जन्मदाता डॉ. जेने बैंग्सबो साकर फिजियोलाजिस्ट हैं. उन्होंने 1991 में इसे फुटबॉल में लागू किया था. इसका मकसद था सभी खेलों में फिटनेस की महत्ता को साबित करना. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या यह टेस्ट एथलीट्स की मैदान पर परफॉर्मेंस को साबित करने वाला है तो उनका जवाब था, यह एकदम साफ है कि खिलाड़ी का चयन केवल इसी टेस्ट के आधार पर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, इस टेस्ट का जन्म 1991 में हुआ जब मुझे लगा कि खेलों में फिटनेस कितनी जरूरी है. उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल साफ है कि इस टेस्ट को टैंपर नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगे कहा, इस टेस्ट में खिलाड़ी की परफॉर्मेंस को दूर से आंका जाता है. यह केवल फिटनेस के लिहाज से बेस्ट टेस्ट है.

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