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मोक्षधाम की जमीन पर बनी है राजस्थान की विधानसभा, क्या यही है ‘अपशगुन’ की वजह?

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामगढ़ सीट से बीएसपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह की मौत की घटना के बाद से पूरे राज्य में एक चर्चा फिर शुरू हो चुकी है. आपसी बातचीत में लोग इस मौत को राजस्थान विधानसभा भवन से जोड़कर बताते हैं. राजस्थान की राजनीति में लोग कहते हैं कि न जाने क्यों राजस्थान विधानसभा भवन में आज तक कभी भी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके हैं. लक्ष्मण सिंह की मौत के साथ ही रामगढ़ सीट पर बाद में चुनाव होना तय है. ऐसे में इस बार फिर से राजस्थान विधानसभा भवन में एक साथ 200 विधायक नहीं बैठेंगे.

मौजूदा विधानसभा भवन 1999 में बनकर तैयार हुआ है. इस भवन के निर्माण के दौरान हुई अलग-अलग दुर्घटनाओं में करीब छह मजदूरों की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि इस विधानसभा भवन के निर्माण में मोक्षधाम (श्मशान घाट) की जमीन ली गई है. 17 एकड़ में फैले इस भवन से करीब 200 मीटर की दूरी पर अभी भी मोक्षधाम है. इतना ही नहीं, पास में ही एक मजार भी है. इस बार के बजट सत्र के दौरान बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने सार्वजनिक रूप से कह दिया था कि विधानसभा भवन अपशकुनी है.

ज्ञानदेव आहूजा के इस बयान के बाद कुछ विधायकों ने यहां तक सलाह दे दी थी कि पूरे विधानसभा भवन को गंगाजल से धोया जाए. साथ ही विशेषज्ञों से यहां हवन पूजन कराया जाए. हालांकि बाद में सरकार ने इन सब बातों को बकवास ठहराया था.

राजस्थान विधानसभा चुनाव भवन से जुड़े मिथक
15वी विधानसभा में बीजेपी के विधायक कीर्ति कुमारी का स्वायन फ्लू से निधन हो गया था. इसके बाद बीजेपी के ही विधायक कल्याण सिंह चौहान का कैंसर से निधन हो गया था. इन दोनों सीटों पर चुनाव हुए तब बीएसपी विधायक बीएल कुशवाह हत्या के आरोप में जेल चले गए.

साल 1999 में इस विधानसभा भवन के उद्घाटन के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण आने वाले थे, लेकिन वे बीमार हो गए. साल 2000 में अशोक गहलोत सरकार में मंत्री और सागवाड़ा से विधायक भीखा भाई भील और लूणकरणसर से विधायक भीमसैन चौधरी का निधन हुआ. साल 2004 में कांग्रेस विधायक रामसिंह बिश्नोई और 2005 में बीजेपी विधायक अरुण सिंह का निधन हो गया.

साल 2008 से 2013 में के दौरान चार विधायकों के जेल जाने से सदन में विधायकों की संख्या फिर कम हो हुई. दिसंबर 2011 में मंत्री रहते हुए महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान बिश्नोई भवरी देवी हत्या प्रकरण में जेल चले गए, दारिया एनकाउंटर मामले में भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ जेल में रहे और बाद में दुष्कर्म मामले में 2013 में तत्कालीन मंत्री बाबूलाल नागर को जेल हो गई.

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