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बीजेपी ने ढूंढा ‘मिशन 272’ पाने का नया फॉर्मूला, दक्षिण में तलाशे जाएंगे नए सहयोगी

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव (Lok sabha elections 2019) को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत में अपनी पैठ मजबूत करने की तैयारी में है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बीजेपी का फोकस दक्षिण के राज्यों की तरफ है. बिहार में उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए से अलग होने के सवाल पर कहा कि बीजेपी गठबंधन की राजनीति को नकार नहीं रही है. पार्टी गठबंधन के सहयोगियों के साथ सामंजस्य बिठाने की पूरी कोशिश कर रही है. ये जरूर है कि कुशवाहा जैसे कुछ छोटे सहयोगी गठबंधन से अलग हुए हैं, लेकिन हम नए सहयोगियों को जोड़ने की कोशिश में हैं. खासकर दक्षिण और पूर्वी भारत में बीजेपी नए सहयोगियों को तलाश रही है.

राम माधव के इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के संभावित गठबंधन को देखते हुए बीजेपी इसकी भरपाई दूसरे राज्यों से करने की कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बीजेपी चाहती है कि दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर में कुछ सीटें हासिल करके इसकी भरपाई की जा सकती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी+ ने उत्तर प्रदेश में 73, राजस्थान में सभी 25, मध्य प्रदेश में 27 और छत्तीसगढ़ में 10 सीटें जीती थीं. इस बार इन सभी हिन्दीभाषी राज्यों में मुश्किल हालात को देखते हुए दक्षिण के राज्यों में सीटें बढ़ाने की कोशिश में जुटी है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी भी सूरत में बहुमत का आंकड़ा 272 सीटें हासिल करना चाहती है.

‘राहुल गांधी के बारे में सोचना कांग्रेस का काम’
राहुल गांधी के विपक्षी खेमे का नेता के सवाल पर राम माधव ने कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के नेता हैं. उन्होंने राहुल गांधी के चेहरे को आगे करने से कांग्रेस को फायदा होगा या नुकसान यह सोचने का काम कांग्रेस पार्टी का है, हम इसपर टिप्प्णी नहीं कर सकते हैं. इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि हालिया चुनावों में कांग्रेस को कुछ छोटी जीत मिली है.

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के सवाल पर राम माधव ने कहा कि अध्यादेश का विकल्प हमेशा है, लेकिन फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट की अगली बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 4 जनवरी की तारीख दी है. उम्मीद कर रहे हैं कि तेजी से इस मामले की सुनवाई हो सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम दूसरे विकल्प के बारे में सोचेंगे.

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