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Ayodhya Case Live: जस्टिस बोबडे बोले- भावनाओं से जुड़ा है मामला, बातचीत से निकलना चाहिए हल

नई दिल्ली। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्ज़िद विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हो रही है. सुनवाई की शुरुआत में हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. आज सुप्रीम कोर्ट इस बात पर अपना फैसला दे सकता है कि क्या इस मसले को अदालत से बाहर मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जा सकता है या नहीं. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे कि अगर मामला मध्यस्थता के जरिए निपटता है सुप्रीम कोर्ट भी उसमें मदद करने के लिए तैयार है.

सुनवाई में क्या हुआ…?

हिंदू महासभा की ओर से वकील हरिशंकर जैन ने समझौते का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट में पार्टियां मान जाती हैं, तो आम जनता इस समझौते को नहीं मानेगी. इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि आप सोच रहे हैं कि किसी तरह का समझौता करना पड़ेगा कोई हारेगा, कोई जीतेगा. मध्यस्थता में हर बार ऐसा नहीं होता है.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि ये सिर्फ जमीन का मसला नहीं है बल्कि भावनाओं का मसला है, इसलिए हम चाहते हैं कि बातचीत से हल निकले. उन्होंने कहा कि कोई उस जगह बने या बिगड़े निर्माण को या इतिहास को पहले जैसा नहीं कर सकता है. इसलिए बातचीत से ही बात सुधर सकती है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ कर रही है. 26 फरवरी को हुई पिछली सुनवाई में इसी पीठ ने कहा था कि सभी पक्षों को एक बार फिर बातचीत पर विचार करना चाहिए, अगर एक फीसदी भी सफलता की उम्मीद है तो कोशिश जरूर होनी चाहिए.

मध्यस्थता पर क्या थी पक्षकारों की राय?

हालांकि, मध्यस्थता की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों की कई तरह की आवाज़ें सुनाई दी थीं. हिंदू महासभा के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता का विरोध किया था और कहा था कि इस प्रकार की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं जो हर बार नाकाम रही है.

लेकिन बाबरी मस्जिद पक्ष ने मध्यस्थता पर चिंता तो जताई थी, लेकिन ये भी कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी करती है तो वह तैयार हैं. निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता की बात स्वाकारी थी.

सुब्रमण्यम स्वामी भी रह सकते हैं मौजूद

आपको बता दें कि आज होने वाली सुनवाई में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी मौजूद रह सकते हैं. स्वामी ने अयोध्या में पूजा करने की इजाजत मांगी थी, जिसपर कुछ दिन पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा था.

गौरतलब है कि इलाहाबाद HC के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपील दायर की गई हैं. हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था.

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