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छठी बार ‘परीक्षा पे चर्चा’: PM मोदी ने बच्चों संग लगाई क्लास, पढ़ाया दबाव और टाइम मैनेजमेंट का पाठ, कहा- काम संतोष देता है

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शुक्रवार (27 जनवरी 2023) को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का 6वाँ संस्करण आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने छात्रों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा है कि जिस तरह क्रिकेटर सिर्फ खेलने पर ध्यान देता है, लोगों के चिल्लाने पर नहीं, उसी तरह छात्रों को भी दवाब में नहीं आना चाहिए।

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “शायद इतनी ठंड में पहली बार परीक्षा पे चर्चा हो रही है। आमतौर पर फरवरी में करते हैं, लेकिन विचार आया कि आप सबको 26 जनवरी का भी लाभ मिले। परीक्षा पे चर्चा मेरी भी परीक्षा है। देश के कोटि-कोटि विद्यार्थी मेरी परीक्षा ले रहे हैं। मुझे ये परीक्षा देने में आनंद आता है।”

पीएम ने कहा, “मुझे लाखों की तादाद में सवाल पूछते हैं, व्यक्तिगत समस्याएँ बताते हैं, परेशानियाँ बताते हैं। सौभाग्य है कि देश का युवा मन क्या सोचता है, किन उलझनों से गुजरता है, देश से उसकी अपेक्षाएँ क्या हैं, सरकारों से अपेक्षा क्या है, सपने क्या हैं, संकल्प क्या हैं… मेरे लिए ये बहुत बड़ा खजाना है। मैंने अपने सहयोगी को कहा है कि सारे सवालों को इकट्ठा करके रखिए। 10-15 साल बाद मौका मिलेगा तो सोशल साइंटिस्ट इसका एनालिसिस करेंगे। पीढ़ी और स्थिति बदलने के साथ सपने-संकल्पों-सोच के बदलने का भी आकलन करेंगे।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार के लोगों को बहुत अपेक्षाएँ होना स्वाभाविक है। इसमें कोई गलत भी नहीं है, लेकिन अगर परिवार के लोग अपेक्षाएँ सोशल स्टेटस के कारण कर रहे हैं तो यह चिंता की बात है। सोशल स्टेटस का लोगों पर बहुत दवाब होता है। लोग बाहर जाकर अपने बच्चों की क्षमता को जानते हुए भी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। इसके बाद वे घर आते हैं तो बच्चों से ऐसी ही अपेक्षा करते हैं।

उन्होंने आगे कहा, “कोई अच्छा करता है तब भी उससे अच्छा करने की उम्मीद की जाती है। हम तो राजनीति में हैं। कितने भी चुनाव जीत लें, लेकिन ऐसा दबाव बनाया जाता है कि हमें हारना ही नहीं है। 200 सीट लाए हैं तो ढाई सौ क्यों नहीं लाए, 250 लाए तो 300 क्यों नहीं लाए। चारों तरफ से दबाव बनाया जाता है। हमें इन दबावों में नहीं आना चाहिए।”

पीएम ने क्रिकेट का उदाहरण देते हुए आगे कहा, “कभी आप क्रिकेट देखने गए होंगे तो कुछ बैट्समैन आते हैं और पूरा स्टेडियम चिल्लाना शुरू कर देता है। चौका-चौका, छक्का-छक्का। क्या वो ऑडियंस की डिमांड के ऊपर चौके-छक्के लगाता है? लोग चिल्लाते रहें, बैट्समैन का ध्यान गेंद पर ही होता है। बॉलर के माइंड को स्टडी करने की कोशिश करता है। जैसी बॉल है वैसे ही खेलता है। फोकस रहता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा, “यदि आप फोकस रहेंगे तो दबाव को झेल लेंगे। संकट से बाहर आ जाएँगे। दबावों के दबाव में ना रहें, दबाव को एनालिसिस करिए। यह जानिए ये कि आप स्वयं को अंडरइस्टीमेट तो नहीं कर रहे हैं। बच्चों को अपनी क्षमता से खुद को कम नहीं आँकना चाहिए। पक्का विश्वास है कि ऐसी समस्याओं को आप आराम से सुलझा लेंगे।”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “आपके भीतर की जो ताकत है, वही ताकत आपको आगे ले जाएगी। परीक्षाएँ तो आती-जाती हैं, लेकिन हमें जिंदगी जी भर के लिए जीना है। इसलिए, शॉर्टकट की ओर नहीं जाना चाहिए। सामान्य लोग जब असामान्य काम करते हैं तो ऊँचाई पर चले जाते हैं। ऐसे लोग एवरेज के मानदंड को तोड़ देते हैं।”

टाइम मैनेजमेंट की वकालत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यज्ञ होता है। आलोचना एक समृद्ध लोकतंत्र की पूर्ण शर्त है। आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, एनालिसिस करना पड़ता है। ज्यादातर लोग आरोप लगाते हैं, आलोचना नहीं करते हैं। आलोचना और आरोप में बड़ी खाई है।”

स्टेडियम में आजादी के अमृत महोत्सव के अलावा, विभिन्न तरह की प्रदर्शनी लगाई गई। इस दौरान जी-20 का लोगो भी लगाया गया था। इस दौरान प्रधानमंत्री हजारों छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और अभिभावकों से मिले और उनसे चर्चा कीं।

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