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5KM तक दौड़ाकर गोलियां बरसाते रहे… 18 साल पहले हुए राजू पाल हत्याकांड में क्यों नहीं थम रहा खूनखराबा?

प्रयागराज/लखनऊ। यूपी को दहला देने वाला उमेश पाल हत्याकांड पुलिस के सामने एक चुनौती बनकर खड़ा है. जिसे सुलझाने के लिए दर्जनभर आईपीएस और पीपीएस अफसरों की टीम रणनीति बनाकर दिन रात काम कर रही है. 150 ज्यादा पुलिसकर्मी इन अफसरों के इशारे पर अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी कर रहे हैं. लेकिन बावजूद इसके अभी तक इस हत्याकांड के पांच मुख्य आरोपी पुलिस की पहुंच से बाहर हैं. उमेश पाल जिस हत्या के मामले में गवाह बताए जाते हैं, वो भी कुछ इसी तरह का केस था. वो था राजू पाल हत्याकांड.

साल 2005 की बात है. जब बसपा विधायक राजू पाल की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. उसी तरह का मंजर 18 साल बाद उसी प्रयागराज में फिर से नजर आया, जब उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. कई पुराने लोगों को ऐसा लग रहा था कि वही मंजर आंखों के सामने घूम रहा है. इस बार गोलियों के बरसात के साथ-साथ, हमले में बम का इस्तेमाल भी किया गया. चलिए एक बार फिर आपको समय के चक्र में पीछे लेकर चलते हैं, और जानते हैं राजू पाल हत्याकांड की पूरी कहानी.

राजू पाल की सियासी कहानी
बात उन दिनों की है, जब राजू पाल, उनकी पत्नी पूजा पाल और उमेश पाल बीएसपी में थे. जबकि अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ समाजवादी पार्टी में हुआ करते थे. राजू पाल प्रयागराज में अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी अतीक अहमद और उनके परिवार के खिलाफ सियासी समर में उतरना चाहते थे. इसलिए वो बसपा से टिकट के लिए पैरवी कर रहे थे और इलाके में बसपा का प्रचार भी.

उपचुनाव में अशरफ को हराया था राजू पाल ने
इससे पहले साल 2004 में अतीक अहमद यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत कर सांसद बन चुके थे. इससे पहले वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी. कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ. इस सीट पर सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया. इसी चुनाव में बसपा से राजू पाल को टिकट मिल गया और वो अशरफ के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए. चुनाव हुआ तो उन्होंने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया और विधायक बन गए.

जीत के बदले राजू पाल को मिली मौत 
अतीक और उसका परिवार उपचुनाव में मिली हार पचा नहीं पा रहा था. वो राजू पाल को अपना दुश्मन मान बैठा था. और इसी दौरान अतीक ने राजू पाल को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली. 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल अपने घर लौट रहे थे. राजू खुद अपनी क्वालिस कार चला रहे थे. उनके साथ उनके दोस्त की पत्नी भी बैठी थीं, जो उन्हें रास्ते में मिली थीं. उनके साथ उनके समर्थकों की एक स्कॉर्पियो भी थी. तभी कुछ कार सवार हमलावर उनका पीछा करने लगे. इसी बीच राजू पाल ने किसी वजह से रास्ते में कार रोकी. जैसे ही उनकी कार थमी. कुछ हथियारबंद लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.

गोलियों से छलनी हो चुका था राजू पाल का जिस्म
पूरा इलाका गोलियों की आवाज़ से गूंज रहा था. बताया जाता है कि राजू पाल पर हमले करने वालों की संख्या करीब दो दर्जन थी. राजू पाल का जिस्म गोलियों से छलनी हो चुका था. इस दौरान उनके साथ मौजूद लोगों ने राजू को एक टेंपों में डालकर अस्पताल ले जाने की कोशिश की. हमलावरों को लगा कि कहीं राजू बच न जाएं. इसलिए उन्होंने 5 किलोमीटर तक टेंपों का पीछा किया और उस पर फायरिंग कर दी. अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू पाल की मौत हो गई. राजूपाल के साथ कार में मौजूद दो अन्य लोग भी मारे गए. राजू पाल को 19 गोलियां लगी थीं.

उमेश पाल हत्याकांड की तस्वीर

राजू पाल की पत्नी वे दर्ज कराया था मामला
विधायक राजू पाल की मौत से ठीक 9 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी. राजू की मौत के बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर फिर से उपचुनाव हुए. जिसमें राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को बसपा ने टिकट दिया. लेकिन इस बार अतीक के भाई अशरफ ने पूजा पाल को हरा दिया. राजू पाल की मौत के मामले में पत्नी पूजा पाल की शिकायत पर अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ अहमद समेत 9 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था.

बदल गए राजनीतिक समीकरण
उस समय वक्त पूजा पाल समाजवादी पार्टी को इसलिए अच्छा नहीं मानती थी, क्योंकि उस पार्टी में बाहुबली अतीक अहमद और उनके भाई हुआ करते थे. राजू पाल हत्याकांड के कई साल बीत गए. वक्त बदला और सियासत भी. समीकरण कुछ ऐसे बदले कि जिस समाजवादी पार्टी को पूजा पाल अच्छा नहीं मानती थी. अब उसी पार्टी यानी सपा से वो विधायक हैं और बाहुबली अतीक अहमद को समाजवादी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

बसपा सरकार ने की थी अतीक पर कार्रवाई
जब अतीक सपा में थे, तो उन दिनों लखनऊ का चर्चित गेस्ट हाउस कांड हुआ था. जिसमें अतीक भी शामिल था. यही वजह थी कि जब सूबे में बसपा सरकार आई तो बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला शुरू हुआ. कहा जाता है कि जब बसपा सरकार थी, तो उस समय बाहुबली की पत्नी भी बहन मायावती से मिलने गई थीं, लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया था.

बसपा सरकार में भी अतीक अहमद की संपत्ति पर बुलडोजर चला था

उमेश पाल की पत्नी ने दर्ज कराई FIR
अब बात करते हैं, उमेश पाल हत्याकांड की. उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर पुलिस ने अतीक अहमद के साथ ही अतीक के भाई, पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक अहमद के दो बेटों और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है. हालांकि, अभी तक पुलिस शूटरों तक नहीं पहुंच पाई है. प्रयागराज और लखनऊ से लेकर नेपाल तक पुलिस और एसटीएफ की 22 टीमें शूटरों की तलाश में खाक छान रही है.

पुलिस की हिट लिस्ट में शामिल हैं ये पांच लोग
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक अहमद के बेटे असद, खास गुर्गे अरमान, गुलाम, गुड्डू और साबिर को पुलिस लगातार तलाश कर रही है. इन पांचों आरोपियों पर इनाम की राशि ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई है. आरोपियों में असद पुत्र अतीक अहमद निवासी चकिया, अरमान पुत्र समीम निवासी एमजी मार्ग, गुलाम पुत्र मकसूदन निवासी मेंहदौरी, गुड्डू मुस्लिम पुत्र शरीफ निवासी लाला की सराय और साबिर पुत्र नसीर निवासी मरियाडीह के नाम भी शामिल हैं.

दो एनकाउंटर, एक गिरफ्तारी
पुलिस ने उमेश पाल हत्याकांड में शामिल दो आरोपियों अरबाज और विजय चौधरी उर्फ उस्मान को एनकाउंटर में मार गिराया है. पुलिस का दावा है कि अरबाज वह क्रेटा कार चला रहा था, जिससे शूटर उमेश की हत्या करने पहुंचे थे. वहीं, विजय चौधरी वह शख्स था, जिसने सबसे पहले उमेश पर फायरिंग की थी. इसके अलावा पुलिस ने सदाकत खान को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि सदाकत के हॉस्टल रूम में ही उमेश की हत्या की साजिश रची गई थी.

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