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अमिताभ ठाकुर ने यूपी में कमीशनखोरी से संबंधित एक आडियो किया रिलीज, आप भी सुनें

लखनऊ। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने मुख्यमंत्री यूपी योगी आदित्यनाथ को जलशक्ति विभाग, उत्तर प्रदेश के टेंडर में भारी घोटाले सहित कतिपय अन्य गंभीर आरोपों के संबंध में शिकायत भेज कर जाँच की मांग की है.

उन्होंने अपनी शिकायत के साथ दो व्यक्तियों की 4.03 मिनट की बातचीत की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजी है. बातचीत अगस्त 2021 की बताई गयी है. बातचीत में एक कंपनी, जिसका नाम एप्पइन्वेंटिव टेक्नोलॉजीज बताया गया है, को शीघ्र ही जल संसाधन विभाग से अस्सी करोड़ रुपये का टेंडर मिलने की बात है.

कहा जा रहा है कि यह मात्र तीन महीने का काम है और इस अस्सी करोड़ में लगभग चालीस करोड़ काम करने और लोगों को हिस्सा देने में चले जायेंगे. बाकी लभगभ चालीस-पैंतालिस करोड़ की सीधी बचत हो जाएगी. इसमें जल शक्ति मंत्री को इस टेंडर में कट (हिस्सा) दिए जाने, उनका सोशल मीडिया अकाउंट इस कंपनी द्वारा संचालित किये जाने जैसी तमाम बातें कही जा रही हैं.

कहा जा रहा है कि कुल टेंडर सौ करोड़ से ऊपर का है. टेंडर की प्रक्रिया में तीन अपनी ही कंपनी को मनमाने ढंग से चयनित कर लिया गया है, जिसमे एप्पइन्वेंटिव को अस्सी करोड़ और बाकी दो कम्पनियों को कम पैसे का टेंडर दिया जायेगा. यह कहा जा रहा है कि टेंडर की पूरी फॉर्मेलिटी हो गयी है और आगामी एक तारीख को काम मिल जायेगा. यह भी कहा जा रहा है कि दिसंबर के बाद जो डेढ़ सौ करोड़ का एक और टेंडर आएगा.

अमिताभ ठाकुर ने कहा कि अभिलेखों के अनुसार इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन 08 जून 2016 को हुआ, किन्तु इस कंपनी द्वारा अपने अनुभव में इससे कई वर्ष पूर्व 01 जनवरी 2011 तथा 06 सितम्बर 2012 के काम दर्शाए जा रहे हैं, जो असंभव है, किन्तु इसके बाद भी इसे ही काम दिया गया. बातचीत में कई अन्य लोगों पर भी गंभीर आरोप हैं. अमिताभ ठाकुर ने इन समस्त तथ्यों की जाँच व समुचित कार्यवाही की मांग की है.

बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनिए-

तत्कालीन जल शक्ति मंत्री, उत्तर प्रदेश को टेंडर मामले में कट (हिस्सा) दिए जाने आदि संबंधित कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग का ट्रांसक्रिप्ट—

चाहें कोई भी हों, पियूष सर को तो नहीं कह रहा मैं, सुदीप सर हों, दिलीप सर हों, दिलीप सर तो इतना काटते हैं, इतना काटते हैं, इस बार जो काम आया है वह डिस्ट्रिक्ट वाइज है. हम लोगों पर जो है वह यूपी वेस्ट का काम है. हमें यूपी वेस्ट के १५ जिला हैं. बाकी लखीमपुर वगैरह का, हमारे जो पार्टनर हैं, उन्हें मिला है. तो दिलिप गुप्ता फ़ोर्स कर रहे हैं कि मेरे भाई को दिलाओ लखीमपुर का काम. आयुष को फोन करे जा रहा है, हाँ दिला दो सप्लाई का.

ओ, हाँ, हाँ, हाँ. अच्छा ये बताओ अभी कौन सा प्रोजेक्ट मिला है और कितना उसमे फायदा है.

अभी जो प्रोजेक्ट मिला है, उसमे अस्सी करोड़ का है हमारा.

अस्सी करोड़ का, वह मंथली है या पूरा प्रोजेक्ट?

नहीं, नहीं पूरा प्रोजेक्ट का. वह पूरा टेंडर होता है, तीन महीने का.

तीन महीने का. तो कितना देंगे?

हाँ तीन महीने का, वो जो है वो सौ करोड़ से ऊपर का है. उसमे जो हैं तीन बन्दे हैं. उसमे अस्सी करोड़ का हमारा है, बाकि इनका है. और अभी एक और टेंडर आएगा, वो होगा दिसंबर के बाद जो डेढ़ सौ करोड़ का हमारा होगा. अस्सी करोड़ में चालीस करोड़ में ये है कि चालीस करोड़ के आसपास हमारा खर्चा होगा. चालीस करोड़ बच जायेगा.

चालीस करोड़ बचेगा

मतलब

तो ये चुनाव वाला पैसा है या बोल नहीं रहे थे चुनाव के प्रचार वाला मिलेगा

नहीं नहीं नहीं, ये तो उसमे से है कि इसमें मंत्रीजी का जो कट है, वो रखना पड़ेगा साइड में, जैसे अभी गए लखनऊ तो दस लाख का लैपटॉप देकर आये डिपार्टमेंट हेड है

अखंड को.

हाँ अखंड को देकर आये हैं, और अभी रिषभ को भी देना पड़ेगा, रिषभ को पैसे नहीं चाहिए, फ्लैट चाहिए.

और मंत्री जी को भी जायेगा ?

मंत्री को हमारे साथ ही रहेगा, वो बोलेंगे, उसका क्या करना है, वो बताएँगे, तब उसको वो करना पड़ेगा, वो ऐसे तो नहीं लेंगे.

क्या हुआ?

मंत्रीजी मुझे ऐसे लगते नहीं हैं लालच

नहीं नहीं हैं भाभी, लालची नहीं, पैसे चाहिए होते हैं न, फंड करना होता है, हर मंत्री को सरकार को देना होता है न इलेक्शन के लिए , हर मंत्री को, पचास तुम दो, पचास तुम दो, तो उनको पे करना होता है

हाँ उनको भी करना होता है

वही न, तो सबसे बड़ा मंत्रालय, तो उनको भी आर्डर आएगा इलेक्शन के लिए , दो करोड़, पांच करोड़, दस करोड़, तुम दो

इनका तो अभी यूपी गवर्नमेंट से जो पैसा आ रहा है, वो यही है, ये वाला जो टेंडर है अस्सी करोड़ का

हाँ ये वाला एक तारीख को एक्सीक्यूट आ जायेगा, सारी फॉर्मेलिटी हो चुकी है, तीन कंपनी सेलेक्ट हुई हैं, तीनों कंपनी हमारी हैं, और एक तारीख को आर्डर मिल जायेगा

तीनों कैसे हमारी है, एक इन्होने सतेंदर की करायी है, एक अपनी करायी है

एक सतेंदर की है, एक अवेंचार है

अच्छा एक अवेंचार को भी करा दिया

अवेंचार तो छोटा है, तीनों ही हैं, मतलब ये कि बड़े हम हैं, बाकि दो छोटे हैं,

और इनके अलावा एक पुराना है

वो तो चल ही रहा है जल शक्ति मंत्रालय का हमारा तैंतीस लाख रुपये महीना वाला

वो चल रहा है

बड़ा काम अब यही आ रहा है

उसी में इनक्लूड है, मंत्रीजी का सोशल मीडिया उसी में इनक्लूड है

देखो, मंत्रीजी का जो हम विभाग का काम करते हैं उनका पूरा उसी से निकलता है

मंत्रीजी को पर्सनली पैसा नहीं दिया जाता है, वो विभाग से आता है, और अब जो मंत्रीजी का जायेगा वो उनका कट जायेगा, वो सबका है मतलब, लगा लो

अस्सी करोड़

तो उसमे चालीस का तो कर्चा ही हो गया, चालीस ही तो बचेगा, चालीस अपने को कहाँ मिलेग

खर्चा-वरचा सब कुछ, खर्चा और बाँट के चालीस बच जायेगा

हाँ, चालीस का प्रॉफिट है आराम है, चालीस-पैंतालिस का आराम से, चालीस मतलब मेरी मेरी बतर हुई तो बोल रहा था कि चालीस करोड़ का होगा नहीं, उससे कम ही रहेगा, अब तीन महीने का ये प्रोजेक्ट है भाभी मात्र ये, चालीस करोड़ का प्रॉफिट

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