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जिन्हें राजनीति करनी है…साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के ऐक्शन पर बोले WFI के नए अध्यक्ष

जिन्हें राजनीति करनी है...साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के ऐक्शन पर बोले WFI के नए अध्यक्षभारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह ने साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने की घोषणा और बजरंग पुनिया के पद्मश्री लौटाने के फैसले पर शनिवार को टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि जो लोग राजनीति में आना चाहते हैं वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। जो एथलीट हैं उन्हें अभी से तैयारी शुरू कर दी है। यौन उत्पीड़न के आरोपी डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह से अपनी नजदीकियों पर संजय सिंह ने कहा, ”सांसद जी (बृजभूषण शरण सिंह) से नजदीकी रखना क्या गुनाह है? मैं हमेशा पदों पर रहा हूं, पहले वाराणसी के कुश्ती संघ का प्रमुख था। इसका सांसद जी से कोई लेना-देना नहीं है।”

बता दें साक्षी मलिक द्वारा कुश्ती छोड़ने की घोषणा के बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। बृजभूषण के करीबी सहयोगी संजय सिंह को कुश्ती महासंघ का प्रमुख चुने जाने के बाद देश के शीर्ष पहलवानों ने विरोध जताया है। बता दें बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गा था और पहलवानों के विरोध के बाद लंबे समय तक भाजपा सांसद रहे बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। संजय सिंह के इस पद पर चुने जाने के बाद बृजभूषण ने कहा कि फेडरेशन पर उनका दबदबा पहले की तरह जारी रहेगा।

पहलवानों ने लिया पद्मश्री लौटाने का फैसला
बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह संजय सिंह के चुनाव के विरोध में पद्मश्री में वापसी करेंगे। शनिवार को डेफलंपिक्स के स्वर्ण पदक विजेता वीरेंद्र सिंह यादव ने घोषणा की कि वह भी अपना पद्मश्री सरकार को लौटा देंगे। वीरेंद्र सिंह यादव, जिन्हें गूंगा पहलवान के नाम से भी जाना जाता है, को 2021 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार मिला था। वीरेंद्र ने एक्स पर लिखा, “मैं अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री भी लौटा दूंगा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी मुझे आपकी बेटी और मेरी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है।”

कांग्रेस का पहलवानों को समर्थन
कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन किया और इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया। खेल मंत्रालय ने कहा कि पद्मश्री लौटाने का फैसला बजरंग पुनिया का था लेकिन उन्हें अपना फैसला बदलने के लिए मनाया जाएगा। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “डब्ल्यूएफआई चुनाव निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से हुए।” वहीं बृजभूषण ने शनिवार को कहा कि कुछ मुद्दों के कारण पिछले 11 महीनों से देश में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिताएं रुकी हुई थीं। पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख ने कहा, “अगर ये टूर्नामेंट 31 दिसंबर से पहले आयोजित नहीं किए गए तो पहलवानों का एक साल बर्बाद हो जाएगा।”

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