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लालकृष्ण आडवाणी को मिला ‘भारत रत्न’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने श्री लालकृष्ण आडवाणी को उनके आवास पर भारत रत्न प्रदान किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री श्री अमित शाह और श्री आडवाणी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे। भारतीय राजनीति के पुरोधा श्री आडवाणी ने सात दशकों से अधिक समय तक अटूट समर्पण और असाधारण कौशल के साथ देश की सेवा की है। वर्ष 1927 में कराची में जन्मे, श्री आडवाणी 1947 में विभाजन की पृष्ठभूमि में भारत चले आए। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने पूरे देश में दशकों तक कड़ी मेहनत की और सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन किया। जब आपातकाल ने भारत के लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया था तब उनके अंदर के अदम्य योद्धा ने इसे अधिनायकवादी प्रवृत्तियों से बचाने में मदद की।

एक सांसद के रूप में संवाद पर उनकी आस्था ने संसदीय परंपराओं को समृद्ध किया। गृह मंत्री तथा उप प्रधान मंत्री के रूप में, उन्होंने सदैव राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखा, जिससे उन्हें दलगत सीमाओं से परे जा कर लोगों ने सम्मान और प्रशंसा प्रदान की। भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए उनके लंबे और अथक संघर्ष की परिणति 2024 में अयोध्या में श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण के रूप में हुई। वे स्वतंत्रता के बाद के उन गिने-चुने राजनीतिक नेताओं में हैं जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नया स्वरूप देने और देश को विकास-पथ पर आगे ले जाने में सफल रहे। उनकी उपलब्धियाँ भारत की सहज प्रतिभा और समावेशी परंपराओं को सर्वोत्तम अभिव्यक्ति प्रदान करती हैं।

लालकृष्ण आडवाणी को मिला ‘भारत रत्न’ तो गिरोह ने फैलाई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान की अफवाह: प्रोपेगंडा के चक्कर में भूले प्रोटोकॉल

देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान दिया गया। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके आवास पर जाकर सम्मानित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। भाजपा के वयोवृद्ध राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान देना वैसे ही विपक्षी पार्टियों को खल रहा था, तभी एक तस्वीर ऐसी आई, जो बिल्कुल सामान्य थी। उस पर सोशल मीडिया पर बिना वजह की हायतौबा की जाने लगी। उस तस्वीर को राष्ट्रपति के अपमान से जोड़ दिया गया। यही नहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अनुसूचित जनजाति की हैं, इसलिए इस तस्वीर को अनुसूचित जनजाति के भी अपमान से जोड़ दिया गया। वहीं, कुछ लोग इस तस्वीर के दूसरे पहलू को जाने बगैर भी इसे शेयर करने लगे। खैर, हम बताते हैं कि क्या माजरा क्या है।

राष्ट्रपति भवन की तरफ से एक्स पर पोस्ट किया गया। इस पोस्ट में लाल कृष्ण आडवाणी के योगदान के बारे में बताया गया है। वहीं, पोस्ट को 2 हिस्सों में डाला गया है। दोनों में दो-दो तस्वीरें हैं। पहली तस्वीर में राष्ट्रपति उन्हें भारत रत्न सम्मान गले में पहना रही हैं, तो दूसरी तस्वीर में किनारे खड़ी हैं। तीसरी तस्वीर में लाल कृष्ण आडवाणी गले में भारत रत्न के साथ हैं, तो चौथी तस्वीर पूरी है, जिसमें प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति की कुर्सी सबसे बड़ी है। वहाँ कालीन भी बिछी है, जबकि भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किनारे बैठे हुए हैं।

राष्ट्रपति भवन द्वारा साझा की गई 4 तस्वीरों में अपने फायदे की तस्वीर को शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस ने आम जनता को भ्रमित करने की कोशिश की। ऐसा लग रहा था, जैसे कॉन्ग्रेस पार्टी को तो जैसे इसी मौके की तलाश थी। कॉन्ग्रेस ने एक्स पर लिखा, “देश की महामहिम राष्ट्रपति खड़ी हैं और PM मोदी बैठे हैं। एक बार फिर PM मोदी ने जानबूझकर आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान किया है। यह पहली बार नहीं है- जब नई संसद का उद्घाटन हुआ तब उन्हें बुलाया नहीं गया और राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी राष्ट्रपति जी नहीं दिखीं। यह घटनाएँ बताती हैं कि पीएम मोदी और बीजेपी की मानसिकता महिला और दलित विरोधी है।”

सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, “देश की प्रथम नागरिक मतलब महामहिम ‘राष्ट्रपति’ जी का मान-सम्मान सर्व प्रथम और सर्वोपरि होना चाहिए।“

कॉन्ग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कॉन्ग्रेस का प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की। उन्होंने लिखा, “तस्वीर में खड़ी हुईं महिला इस देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू जी हैं। बैठे लोगों में वयोवृद्ध अडवाणी जी हैं, जिन्हें घर पर भारत रत्न दिया। दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। यह सिर्फ़ प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति का ही अपमान नहीं, सामान्य शिष्टाचार के भी ख़िलाफ़ है। यह इज़्ज़त है आदिवासी, वंचित, शोषित समाज की? लानत है गला फाड़ कर महिला सम्मान का ढोंग करने वाली BJP, उसके असभ्य नेता, महिला मंत्रीगण, बददिमाग़ कार्यकर्ता — एक महिला राष्ट्रपति के इस अपमान से ज़रा भी आहत नहीं?”

वामपंथी मीडिया का हिस्सा आरफा खानम शेरवानी ने एक्स पर तस्वीर पोस्ट करके तंज कसा और लिखा, “भाइयों और बहनों, ये हैं भारत गणराज्य की राष्ट्रपति।”

इस तस्वीर को शेयर कर शिवसेना-यूबीटी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी भ्रम फैलाने की कोशिश की। लेकिन राष्ट्रपति भवन और उनके प्रोटोकॉल को अच्छे से जानने वाले अशोक मलिक ने सारी तस्वीर साफ कर दी। उन्होंने प्रोटोकॉल को लेकर भी जानकारी दी और कहा कि इस पूरे मामले में कहीं से भी प्रोटोकॉल नहीं टूटा, बल्कि इसका पूरी तरह से पालन हुआ।

अशोक मलिक ने प्रियंका चतुर्वेदी के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा, “यहाँ किसी राजनीतिक बहस में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन राष्ट्रपति भवन प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति और प्राप्तकर्ता दोनों खड़े होते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री सहित अन्य अतिथि बैठे होते हैं। यदि प्राप्तकर्ता बुजुर्ग या अस्वस्थ है तो वह बैठा रह सकता है। यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में नहीं हुआ, लेकिन जाहिर तौर पर सामान्य प्रोटोकॉल का पालन किया गया।”

बता दें कि इस साल 5 विभूषियों को भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव, बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर, कृषि क्रांति के अगुवा डॉ एमएस स्वामीनाथन और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया गया है। इसमें शुरुआती चार नामों को मरणोपरांत इस सम्मान से सम्मानित किया गया। उनके परिजनों को राष्ट्रपति ने 30 मार्च 2024 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया, तो लाल कृष्ण अडवाणी को उनके घर पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और लालकृष्ण आडवाणी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।

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