इस्लामाबाद। पाकिस्तान में बुधवार को ईशनिंदा मामले में ईसाई महिला आसिया बीबी को बरी किए जाने पर बवाल मच गया. हालात को संभालने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मीडिया के सामने आना पड़ा और मुल्क के लोगों को इस्लाम का ककहरा पढ़ाना पड़ा.
इस दौरान इमरान खान ने आसिया बीबी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए प्रदर्शनकारियों को चेतावनी भी दी कि वो रियासत से न टकराएं, वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जजों की हत्या करने की धमकी देने और आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के खिलाफ बगावत करने व अपशब्दों का इस्तेमाल करने पर भी चेताया.
बता दें कि आसिया बीबी मामले में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही इस्लामाबाद, लाहौर, पेशावर और कराची समेत अन्य शहरों पर ‘तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान’ (TLP) के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए और कई सड़कों को जाम कर दिया. कई जगह आगजनी और सुरक्षा बलों के साथ झड़प की भी खबरें हैं. पाकिस्तानी टीवी जियो के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बलोचिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ने पर 31 अक्टूबर से लेकर 10 नवंबर तक धारा 144 लगा दी गई.
आसिया बीबी को ईशनिंदा मामले में बरी किए जाने पर पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गैर मुस्लिम बताया जा रहा है और सेना के खिलाफ बगावत के लिए उकसाया जा रहा है. इसके अलावा पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जजों की हत्या करने की धमकी दी जा रही है.
बुधवार रात आठ बजे प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए इमरान खान ने मुल्क को इस्लाम का ककहरा पढ़ाया और कहा कि आसिया बीबी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने संविधान के मुताबिक फैसला लिया है और पाकिस्तान का संविधान इस्लाम के अनुसार बना है. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट आपके मुताबिक फैसला नहीं सुनाएगा. ऐसे कोई मुल्क नहीं चल सकता है. इस दौरान इमरान खान ने सुप्रीम कोर्ट के जजों और आर्मी चीफ के खिलाफ बगावत को देशद्रोह बताया.
ईशनिंदा में आसिया बीबी को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी
बुधवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ईशनिंदा की दोषी ईसाई महिला आसिया बीबी की फांसी की सजा को पलटते हुए उसे बरी कर दिया था, जिसके बाद देशभर में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. अपने पड़ोसियों के साथ विवाद के दौरान इस्लाम का अपमान करने के आरोप में साल 2010 में चार बच्चों की मां आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था. उन्होंने हमेशा खुद को बेकसूर बताया. हालांकि बीते 8 वर्ष में उन्होंने अपना ज्यादातर समय एकांत कारावास में बिताया.
पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लेकर समर्थन बेहद मजबूत है और आसिया बीबी के मामले ने लोगों को अलग-अलग धड़ों में बांट दिया है. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश साकिब निसार की अगुवाई वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया. निसार ने फैसले में कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कथित ईशनिंदा मामले में अभियोजन की तरफ से पेश साक्ष्य को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट है कि अभियोजन अपने मामले को साबित करने में विफल रहा है.’
उन्होंने कहा कि आसिया बीबी अगर अन्य मामलों में वांछित नहीं हैं तो लाहौर के निकट शेखुपुरा जेल से उन्हें तुरंत रिहा किया जा सकता है. बीबी पहली महिला हैं जिन्हें ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सजा दी गई थी. अधिकारियों के मुताबिक बीबी जीवन पर खतरे को देखते हुए पाकिस्तान से बाहर जा सकती हैं. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह कहां जाएंगी. उन्हें कनाडा सहित कई देशों ने शरण देने की पेशकश की है.