Thursday , November 21 2024

विशेष

‘हम इतिहास से सबक नहीं सीखते’

प्रखर श्रीवास्तव कुछ ऐसा ही धोखा किया गया था 83 साल पहले स्वामी श्रद्धानंद के साथ… मैं यहां कमलेश तिवारी और स्वामी श्रद्धानंद की तुलना नहीं कर रहा, दोनों में बहुत अंतर है… मैं सिर्फ धोखेबाज़ी, दगाबाज़ी और गद्दारी के एक घटनाक्रम को समझाने की कोशिश कर रहा हूं… 2019 ...

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गांधी हत्याकांड पर बड़ा खुलासा : “जलनखोर” नेहरू की साज़िश में फंसे वीर सावरकर!

प्रखर श्रीवास्तव सेक्युलर, लिबरल, वामियों का ये कहना है कि वीर सावरकर को इसलिए भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए क्योंकि वो महात्मा गांधी हत्याकांड के अभियुक्त थे। ये और बात है कि सावरकर 1949 में ही गांधी हत्याकांड में बरी हो गए थे। लेकिन आज जो मैं ऐतिहासिक तथ्य देने ...

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राजगोपालाचारी और अम्बेडकर के सामने सावरकर की ब्रिटिशपरस्ती कितनी गाढ़ी रही होगी?

के विक्रम राव विनायक सावरकर को भारत रत्न देने का महज दो कारणों से विरोध हो रहा है| उन्होंने अंडमान जेल से रिहाई चाही थी और बर्तानवी सरकार से सहकार की इच्छा व्यक्त की थी| प्रश्न यहाँ यह है कि मिलते जुलते अपराधों के लिए विषम दण्ड प्रावधान अपनाना नाइंसाफ़ी ...

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वतन के बदले क़ुरान के प्रति वफादार हैं मुस्लिम, वो कभी हिन्दुओं को स्वजन नहीं मानेंगे: आंबेडकर

हिंदुत्ववादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या में अब तक जितने भी नाम सामने आए हैं, सभी एक खास कौम के हैं। सूरत से तीन तो नागपुर से एक मुसलमान की गिरफ्तारी हुई है। बिजनौर से 2 मौलाना गिरफ़्तार किए गए हैं। दोनों शूटर की भी पहचान हो गई है और ...

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जिस देश की 60 फीसदी जनता 3 आना में गुजारा करती थी, वहीं नेहरु का खर्च 25 से 30 हजार के बीच था

अभिषेक उपाध्याय विपक्ष का मतलब क्या होता है? इसे समझने के लिए राम मनोहर लोहिया को समझना होगा। आज 12 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि है। पर वो तारीख थी 21 अगस्त 1963, नेहरू इस देश के प्रधानमंत्री थे। लोहिया विपक्ष में थे। नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया ...

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जन्मदिन विशेष: ऐसा रहा है पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का जीवन, भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने में अतुलनीय योगदान

15 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में बेहद खास आज के ही दिन हुआ था अब्दुल कलाम का जन्म भारतीय इतिहास में 15 अक्टूबर का दिन बेहद खास है. भारत को मिसाइल और परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजी अब्दुल कलाम आज के ही दिन जन्मे थे. ...

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36 घंटे में केवल 1 ने बेचे ₹750 करोड़ के फोन: क्या जनता बिना कच्छों के मोबाइल चला रही?

अनुपम कुमार सिंह भारत में अंडरवियर की गिरती बिक्री को लेकर मंदी की बात कही गई थी। रवीश कुमार सरीखे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लम्बे-चौड़े लेख लिख कर बताया था कि किस तरह कच्छों की बिक्री का गिरना भारत की गिरती अर्थव्यवस्था का राज़ खोलता है। खैर, स्थिति को ...

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गांधी प्रासंगिक हैं या गांधी के नाम पर सियासत..!

प्रभात रंजन दीन आज पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। भाजपा कुछ अधिक ही उत्साही है। भाजपा शासित केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारें गांधी के लिए ऐसे फिदा हैं, जैसे गांधी के साथ उनका कालजयी नाता रहा है। बेचारे कांग्रेसी ही अब हाशिए पर ...

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आखिर बिहार का दोष क्या है.?

“ओ भैये, खोते दे पुतर डांग फेरनी है मैं तेरे ते” “नाही बाबू जी ग़लती हो गया, अबकी बार नही होगा।” पहला वाक्य एक पंजाबी अमीर जादे का है, दूसरा बिहार के एक प्रवासी मजदूर का। दरअसल हरियाणा, पंजाब या और कोई भी जगह हो बिहारियों को गाली बना दिया ...

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शहर क्यों डूबते हैं?

सर्वेश तिवारी श्रीमुख मेरे गोपालगंज का उदाहरण देख लीजिए। मुझे लगता है कि आज से तीस साल पहले तक गोपालगंज शहर के लिए “बाढ़ का कहर” एक काल्पनिक बात रही होगी। क्योंकि मात्र तीस साल पहले तक गोपालगंज शहर के बीच से हो कर कुल छह बरसाती नदियाँ-नाले निकलते थे। ...

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पत्रकारिता छोड़ ब्याह कराने वाले बिचौलिए की भूमिका में आ गए हैं रवीश बाबू…

प्रीति कमल रवीश कुमार पत्रकारिता का एक जाना-माना नाम है। मैग्सेसे भी जीत चुके हैं। लेकिन अब वे इस प्रोफ़ेशन को छोड़ने का मन बना चुके हैं। कैसे, क्यों और काहे? क्योंकि रवीश कुमार ने जयपुर में आयोजित टॉक जर्नलिज़्म कार्यक्रम में कुछ ऐसी बातें कहीं, जो एक पत्रकार नहीं ...

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बुद्ध-महावीर के स्थल से उस लड़की के गिड़गिड़ाने की आवाज़… आपके कानों तक पहुँची क्या?

अनुपम कुमार सिंह “भैया, मुझे अपनी छोटी बहन समझ कर माफ़ कर दीजिए। छोड़ दीजिए।” “बहुत बदनामी हो जाएगी। छोड़ दीजिए भैया।” इंसानी खाल में छिपे भेड़ियों से घिरी एक बच्ची बस इतना ही बोलती रही। उस पर टूटने वाले दरिंदे मंगल ग्रह से नहीं आए थे। वे भी उसी ...

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आतंक का एक मजहब है: कट्टरपंथी इस्लाम… एक ने स्वीकारा, आप भी स्वीकारिए

अजीत भारती ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान बहुत सी चीजें कही गईं, दिखीं और दिखाई गईं। मोदी के लिए एक भीड़ आई थी, जिसे कुछ कुख्यात पत्रकार रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की भीड़ सदृश बताते हुए लेख लिखते पाए गए। फर्क बस यही है कि ऐसे पत्रकार अब इतना नीचे ...

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कॉन्ग्रेस सरकारों की कर्जमाफी: किसानों को नहीं मिली राहत, यूपी पर गला फाड़ने वाला मीडिया भी चुप

अनुपम कुमार सिंह पिछले वर्ष के अंत में हुए विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी का वादा कर सरकार गठन में सफलता प्राप्त की। अपने तरकश के सारे तीर फेल हो जाने के बाद कॉन्ग्रेस ने कर्जमाफी का दाँव खेला था, क्योंकि पंजाब में ...

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मलाला राजनैतिक हलाला की प्रक्रिया से गुजर रही हैं

पाकिस्तान के टूटते मन्दिर और मलाला प्रलाप सर्वेश तिवारी श्रीमुख नोबेल धारिणी सुश्री मलाला ने कश्मीर पर एक चर्चित बयान दिया है। नोबेल उत्कोच मिलने के बाद व्यक्ति का हर बयान बड़ा हो जाता है। वह कुछ भी कह दे तो लोगों को सुनना पड़ता है। हालांकि सुश्री मलाला की ...

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