Thursday , April 25 2024

हमारे कॉलमिस्ट

वो 8 मीडिया पोर्टल्स जिन्होंने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट को ही घेरा, हिन्दू देवताओं का उड़ाया मजाक

राम मंदिर पर फ़ैसला आने के बाद मीडिया की क्या प्रतिक्रिया रही? सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद जहाँ हर तबके में इसका स्वागत किया गया, एक धड़ा ऐसा भी था, जिसने सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले को लेकर नकारात्मकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जैसे अनुच्छेद 370 के ...

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हिन्दुओं को भला-बुरा कह ‘कूल’ बनीं शबाना: बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, दूसरी बीवी सुभान अल्लाह

कुमारटुली से शुरू करते हैं। कुमारटुली से इसीलिए, क्योंकि वहाँ के लोगों के कारण बंगाल की दुर्गा पूजा में वो रौनक आती है, जो शायद ही कहीं और रहती हो। नार्थ कोलकाता के शोभाबाजार के पास स्थित कुमारटुली में ही वो लोग रहते हैं, जो माँ दुर्गा की कई भव्य ...

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ख़ुद में ‘ढुका लाग के’ देखिए रवीश जी, दूसरों को ‘लबरा’ बता कर नेतागिरी करना बंद कर देंगे

रवीश कुमार ने मोतिहारी में क़दम रखा और वहाँ उनका ख़ूब स्वागत किया गया। मैं भी चम्पारण से हूँ, इसीलिए रवीश कुमार के जहाँ से उठ कर यहाँ तक पहुँचे हैं, उस पर हर चम्पारणवासी की तरह मुझे भी गर्व है। लेकिन हाँ, यहाँ तक पहुँचने के बाद उन्होंने क्या-क्या ...

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महाराष्ट्र और हरियाणा में आखिर कौन जीता,कौन हारा

राजेश श्रीवास्तव महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजों की अगर ठीक से व्याख्या की जाए तो एक बात तो साफ हो जाती है कि वहां भारतीय जनता पार्टी की जीत नहीं हुई है। यह बात दूसरी है कि सरकार वहां भाजपा की ही बनेगी। लेकिन एक वाक्य में इन ...

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किरण बेदी ‘राक्षस’ हैं, क्योंकि कॉन्ग्रेसियों के लिए नारी सम्मान बस मैडम जी की चमचई है

एक देश की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री। दूसरी, पहली महिला जिसने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) को चुना। दोनों ही महिला सशक्तिरण की मिसाल। लेकिन, शुक्रवार यानी 31 अक्टूबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गॉंधी की पुण्यतिथि पर ही दूसरी महिला यानी पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी की तुलना ‘राक्षस’ ...

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प्रिय रवीश जी, छोटे रिपोर्टर को अपमानित करने से आपका कब्ज नहीं जाएगा, चाहे कितना भी कुथिए

अजीत भारती ये किसी से छुपा नहीं है कि रवीश कुमार पिछले पाँच सालों में स्वयं को पत्रकारिता का एकमात्र सत्यापनकर्ता मान चुके हैं। ‘धंधे’ को लेकर आलोचना करना एक बात है, लेकिन आलोचना के चक्कर में ये बताने लगना कि धंधा अगर कोई कर रहा है, तो वो स्वयं ...

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‘हम इतिहास से सबक नहीं सीखते’

प्रखर श्रीवास्तव कुछ ऐसा ही धोखा किया गया था 83 साल पहले स्वामी श्रद्धानंद के साथ… मैं यहां कमलेश तिवारी और स्वामी श्रद्धानंद की तुलना नहीं कर रहा, दोनों में बहुत अंतर है… मैं सिर्फ धोखेबाज़ी, दगाबाज़ी और गद्दारी के एक घटनाक्रम को समझाने की कोशिश कर रहा हूं… 2019 ...

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गांधी हत्याकांड पर बड़ा खुलासा : “जलनखोर” नेहरू की साज़िश में फंसे वीर सावरकर!

प्रखर श्रीवास्तव सेक्युलर, लिबरल, वामियों का ये कहना है कि वीर सावरकर को इसलिए भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए क्योंकि वो महात्मा गांधी हत्याकांड के अभियुक्त थे। ये और बात है कि सावरकर 1949 में ही गांधी हत्याकांड में बरी हो गए थे। लेकिन आज जो मैं ऐतिहासिक तथ्य देने ...

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राजगोपालाचारी और अम्बेडकर के सामने सावरकर की ब्रिटिशपरस्ती कितनी गाढ़ी रही होगी?

के विक्रम राव विनायक सावरकर को भारत रत्न देने का महज दो कारणों से विरोध हो रहा है| उन्होंने अंडमान जेल से रिहाई चाही थी और बर्तानवी सरकार से सहकार की इच्छा व्यक्त की थी| प्रश्न यहाँ यह है कि मिलते जुलते अपराधों के लिए विषम दण्ड प्रावधान अपनाना नाइंसाफ़ी ...

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वतन के बदले क़ुरान के प्रति वफादार हैं मुस्लिम, वो कभी हिन्दुओं को स्वजन नहीं मानेंगे: आंबेडकर

हिंदुत्ववादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या में अब तक जितने भी नाम सामने आए हैं, सभी एक खास कौम के हैं। सूरत से तीन तो नागपुर से एक मुसलमान की गिरफ्तारी हुई है। बिजनौर से 2 मौलाना गिरफ़्तार किए गए हैं। दोनों शूटर की भी पहचान हो गई है और ...

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जिस देश की 60 फीसदी जनता 3 आना में गुजारा करती थी, वहीं नेहरु का खर्च 25 से 30 हजार के बीच था

अभिषेक उपाध्याय विपक्ष का मतलब क्या होता है? इसे समझने के लिए राम मनोहर लोहिया को समझना होगा। आज 12 अक्टूबर को उनकी पुण्यतिथि है। पर वो तारीख थी 21 अगस्त 1963, नेहरू इस देश के प्रधानमंत्री थे। लोहिया विपक्ष में थे। नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया ...

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36 घंटे में केवल 1 ने बेचे ₹750 करोड़ के फोन: क्या जनता बिना कच्छों के मोबाइल चला रही?

अनुपम कुमार सिंह भारत में अंडरवियर की गिरती बिक्री को लेकर मंदी की बात कही गई थी। रवीश कुमार सरीखे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर लम्बे-चौड़े लेख लिख कर बताया था कि किस तरह कच्छों की बिक्री का गिरना भारत की गिरती अर्थव्यवस्था का राज़ खोलता है। खैर, स्थिति को ...

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गांधी प्रासंगिक हैं या गांधी के नाम पर सियासत..!

प्रभात रंजन दीन आज पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। भाजपा कुछ अधिक ही उत्साही है। भाजपा शासित केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारें गांधी के लिए ऐसे फिदा हैं, जैसे गांधी के साथ उनका कालजयी नाता रहा है। बेचारे कांग्रेसी ही अब हाशिए पर ...

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आखिर बिहार का दोष क्या है.?

“ओ भैये, खोते दे पुतर डांग फेरनी है मैं तेरे ते” “नाही बाबू जी ग़लती हो गया, अबकी बार नही होगा।” पहला वाक्य एक पंजाबी अमीर जादे का है, दूसरा बिहार के एक प्रवासी मजदूर का। दरअसल हरियाणा, पंजाब या और कोई भी जगह हो बिहारियों को गाली बना दिया ...

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शहर क्यों डूबते हैं?

सर्वेश तिवारी श्रीमुख मेरे गोपालगंज का उदाहरण देख लीजिए। मुझे लगता है कि आज से तीस साल पहले तक गोपालगंज शहर के लिए “बाढ़ का कहर” एक काल्पनिक बात रही होगी। क्योंकि मात्र तीस साल पहले तक गोपालगंज शहर के बीच से हो कर कुल छह बरसाती नदियाँ-नाले निकलते थे। ...

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