Tuesday , April 30 2024

लोगों की नकदी, चल-अचल संपत्ति कब्जा ले सरकार, कोरोना संकट से निपटने के इस सुझाव पर मचा हंगामा

नई दिल्‍ली। कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए एक ओर वैक्‍सीन की खोज चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्‍यवस्‍था को फिर से पटरी पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस दौरान कई क्षेत्र के विशेषज्ञ अपनी राय भी रख रहे हैं। इस बीच योगेंद्र यादव, हर्ष मंदर, रामचंद्र गुहा आदि की ओर से मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक सात सूत्रीय कार्ययोजना तैयार की गई। इसमें एक बिंदु(7.1) यह था कि लोगों की नकदी, चल-अचल संपत्ति सरकार अपने कब्जे में ले ले। इस सुझाव की देशभर में काफी आलोचना हो रही है। अब रामचंद्र गुहा, योगेंद्र यादव और अन्य इस योजना को बदलने और सफाई देने को मजबूर हो गए हैं।

विरोध के बाद योगेंद्र यादव ने पिछली सात सूत्रीय कार्ययोजना में बदलाव करके एक नया बयान जारी किया है। इसमें संपत्ति के राष्ट्रीयकरण वाली बात को हटा दिया गया है। संशोधित बयान में ये कहा गया है कि राहत पैकेज के लिए संसाधनों के इंतज़ाम में टैक्स लगाने के अलावा दूसरे रास्ते भी खोजे जाएं। हालांकि, इसके साथ ही योगेंद्र यावद ने एक वीडियो मैसेज भी शेयर किया, जिससे लगता है कि उन्‍होंने सुझाव को बदल तो दिया है, लेकिन वो इससे पूरी तरह से सहमत नहीं हैं। योगेंद्र यादव ने एक वीडियो मैसेज ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रीय संकट का मुकाबला करने के लिए 7 प्वाइंट का एक्शन प्लान: इस प्रस्ताव पर इतना हमला क्यों हो रहा है?

-देश के किसी भी राज्‍य से अगर कोई मज़दूर अपने गृहराज्‍य जाना चाहता है, तो उसे पूरे सम्‍मान के साथ घर भेजा जाए और इसके लिए कोई पैसा न लिया जाए।

– अगर किसी शख्‍स में कोरोना वायरस के संक्रमण नजर आते हैं, तो उसकी मुफ्त जांच कराई जाए। अगर वह पॉजिटिव पाया जाता है, तो टेस्ट से लेकर वेंटिलेटर तक एक समान स्वास्थ्य सुविधाएं फ्री में मिले।

– किसानों और छोटे कारोबारियों के लिए और होम लोन पर अगले तीन महीने के लिए ब्याज पर राहत दी जाए।

– इसी तरह एक सुझाव था कि देश में या नागरिकों के पास मौजूद सभी तरह के संसाधनों (नक़दी, जमीन, संपत्ति, बॉन्ड) को इस संकट के दौरान राष्ट्रीय संसाधन की तरह माना जाए। इसका मतलब यह हुआ कि लोगों के पास जो भी घर, ज्‍वेलरी या पैसा होगा, उस पर सरकार का अधिकार हो जाए। ‘मिशन जय हिंद’ के ‘सात सूत्री कार्य योजना’ के मसौदे के इस सुझाव का सोशल मीडिया पर जमकर विरोध हुआ।

ऐसे में लेखक और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी ये साफ कर दिया कि वह बिंदु(7.1) से सहमत नहीं हैं। मसौदा तैयार करते वक्‍त इसके लिए उन्होंने रज़ामंदी भी नहीं दी थी। बता दें कि ‘मिशन जय हिंद’ के ‘सात सूत्री कार्य योजना’ के मसौदे को तैयार करने में अर्थशास्त्री प्रणब बर्धन, दीपक नैयर, ज्यां द्रेज़, अभिजीत सेन, जयती घोष, राजमोहन गांधी, रामचंद्र गुहा, हर्ष मंदर, निखिल डे, एडमिरल (रिटायर्ड) रामदास जैसे लोग शामिल हैं।

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