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डील किसी और की, निशाना बने अतीक-अशरफ… 10 लाख की सुपारी और जिगाना पिस्टल की कहानी

अतीक-अशरफ को पुलिस अभिरक्षा के दौरान गोलियों से भून दिया गया थालखनऊ। उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को पुलिस अभिरक्षा के बीच तीन शूर्टस ने सरेआम मार डाला था. इस दोहरे हत्याकांड को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे. कहीं रंजिश की बात थी तो कहीं पुरानी दुश्मनी का जिक्र. लेकिन जब पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की और उस चार्जशीट से निकलकर कहानी सामने आई तो मामला पूरा उलट गया.

रात के 10 बजकर 35 मिनट का वक्त था. शहर के कॉल्विन अस्पताल के बाहर नई उम्र के तीन लड़कों ने अचानक यूपी के खूंखार गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर हर किसी को चौंका दिया था. उस रात ये देश की सबसे बड़ी ख़बर बन गई थी. दरअसल, कत्ल की ऐसी वारदात इससे पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी. टीवी कैमरों पर लाइव… सैकड़ों लोगों की आंखों के सामने… वो भी पुलिस हिरासत में सरेआम.. डबल मर्डर.

एसआईटी की चार्जशीट में हैरान करनेवाला खुलासा

उस वारदात के ठीक तीन महीने बाद यूपी पुलिस की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी ने इस सिलसिले में चार्जशीट दाखिल कर दी. जिसने एक बार फिर से हर किसी को हैरान कर दिया है. क्योंकि इस चार्जशीट के मुताबिक अतीक और अशरफ जैसे बड़े माफिया भाइयों के कत्ल के पीछे ना तो कोई बड़ी साज़िश थी और ना ही कोई ऐसा मास्टरमाइंड जो पर्दे के पीछे हो.

सिर्फ माफिया डॉन बनना था कातिलों का मकसद

बल्कि इन दोनों के कत्ल की इस दहलानेवाली वारदात के पीछे सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य नाम के वही तीन लड़के थे, जो पत्रकारों के भेष में दोनों के करीब पहुंचे थे और बिल्कुल प्वाइंट ब्लैंक रेंज से उन्हें अपनी गोलियों का निशाना बनाया था. चार्जशीट के मुताबिक इस दोहरे कत्ल की वजह सिर्फ इतनी सी थी कि तीनों को रातों-रात जुर्म की दुनिया में अपना नाम पैदा करना था यानी यूपी का माफिया डॉन बनना था. यानी ना कोई दुश्मनी, ना रंजिश और ना कोई बड़ी साज़िश… सिर्फ कत्ल.

टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के लिए दी थी सुपारी और हथियार

हाल ही में एसआईटी ने अदालत में इस सिलसिले में 2 हज़ार 56 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की. चार्जशीट के मुताबिक तीनों लड़कों ने इस वारदात को दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र गोगी से मिली जिगाना पिस्टल और 10 लाख रुपये की सुपारी की रकम लेकर अंजाम दिया. लेकिन खास बात ये रही कि गोगी ने ये अस्लहा और रुपये तीनों को अतीक-अशरफ को मारने के लिए नहीं, बल्कि अपने दुश्मन टिल्लू ताजपुरिया की जान लेने के लिए दिए थे. लेकिन इत्तेफाक से रुपये और अस्लहा देने के बाद खुद गोगी का ही कत्ल हो गया और तीनों ने ये रकम और अस्लहे हजम कर लिए.

किसने पहुंचाई थी सुपारी की रकम और जिगाना पिस्टल?

चार्जशीट में गोगी की ओर से सनी सिंह को रुपये और अस्लहे दिए जाने का जिक्र तो है, लेकिन ये चीजें गोगी की तरफ से सनी सिंह को किसने मुहैया करवाई, ये अब तक साफ नहीं है. यानी तीनों को हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ करने और तीन महीने तक तफ्तीश करने के बावजूद पुलिस ये पता नहीं लगा सकी कि गोगी की ओर से सनी सिंह को सुपारी कि डिलिवरी किसने की?

SIT ने खंगाली 70 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज

एसटीआई की चार्जशीट के मुताबिक उसने इस सिलसिले में कुल 70 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की स्कैनिंग की और डेढ़ सौ गवाहों के बयान दर्ज किए. इसके साथ ही आरोपियों से तो पूछताछ की ही. लेकिन फिर भी साज़िश का सवाल अनसुलझा ही रह गया. पुलिस की मानें तो एसआईटी की पूछताछ में आरोपी सनी सिंह ने बताया कि वो अतीक और अशरफ की हत्या कर नाम कमाना चाहता था. उसने ही लवलेश और अरुणेश को अपने साथ इस काम को करने के लिए राजी किया था. उसे लगता था कि इतना बड़ा काम करने पर उसका पूरे देश में नाम हो जाएगा और लोग उससे डरने लगेंगे.

कातिलों के मददगार कौन? 

उसने पूछताछ में बताया कि जब उसे गोगी की ओर से 10 लाख रुपये दिए गए तो उसने उन रुपयों से जमकर शॉपिंग की थी. ये रुपये उसके साथ-साथ उसके बाकी दो साथियों यानी लवलेश और अरुण ने भी उड़ाए थे… चार्जशीट के मुताबिक अब तक तफ्तीश में सनी ने ही सारा इल्जाम अपने सिर पर ले लिया और ये बात अब तक साफ नहीं हो सकी कि उन तीनों के अलावा इस वारदात में उनके मददगार और कौन रहे?

जारी है न्यायिक जांच 

वैसे अतीक और अशरफ के कत्ल के मामले की जांच एसआईटी ने बेशक पूरी कर ली हो, लेकिन मामले की न्यायिक जांच का सिलसिला अब भी जारी है. इसी महीने की पहली तारीख को न्यायिक जांच आयोग की पांच सदस्यीय टीम एक बार फिर प्रयागराज पहुंची थी. और उसने लोकल पुलिस समेत एसटीआई के सदस्यों से बात कर कत्ल से जुड़ी जानकारियां हासिल की. इस टीम को जांच के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था. हालांकि इस टीम ने सुप्रीम कोर्ट से जांच पूरी करने के लिए थोड़ा और वक़्त मांगा है. समझा जाता है कि इस मामले में न्यायिक जांच भी अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है. टीम जल्द ही अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट दे सकती है. ऐसे में न्यायिक जांच आयोग की टीम के प्रयागराज दौरे को अधूरे पहलुओं की समेटने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.

2056 पेज की चार्जशीट

प्रयागराज के एडिशनल सीपी सतीश चंद्र, एसीपी सत्येंद्र प्रसाद तिवारी और इंस्पेक्टर ओम प्रकाश की अगुवाई वाली इस एसआईटी ने गुरुवार देर रात बड़े ही गोपनीय तरीके से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस की तरफ से दाखिल की गई 2056 पेज की चार्जशीट में 2000 पेज में पुलिस की केस डायरी, नक्शा नजरी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चालान, फोटो परीक्षण रिपोर्ट, गवाहों के बयान, सीसीटीवी फुटेज का ब्यौरा समेत दूसरे तथ्य हैं, जबकि चार्जशीट 56 पन्ने की है.

संगीन धाराओं में दर्ज है केस

तीनों ही आरोपियों यानी सनी सिंह, लवलेश तिवारी, और अरुण मौर्या के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 34, 120 बी, 419, 420, 467, 468, 471 और आर्म्स एक्ट की धाराओं और क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 के तहत इल्जाम लगाए गए हैं. पुलिस ने जांच में तीनों आरोपियों के पड़ोसियों, रिश्तेदारों और दोस्तों के बयान को भी शामिल किया है और जिसके आधार पर शूटरों को आक्रामक प्रवृत्ति का और जल्द नाम कमाने की हसरत वाला बताया गया है. पुलिस ने तीनों शूटर में सनी सिंह को पहले से ही अपराधिक प्रवृत्ति का बताया है.

13 अप्रैल को करना चाहते थे अतीक-अशरफ का कत्ल

पुलिस ने चार्जशीट में दावा किया है ये तीनों शूटर वारदात से दो दिन पहले यानी 13 अप्रैल को ही अतीक और अशरफ की हत्या करना चाहते थे. उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ की कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या करने के लिए तीनों शूटर पहले भी कोशिश कर चुके थे. तीनों पहले कोर्ट भी पहुंचे थे लेकिन वकीलों की भीड़ और भारी पुलिस बंदोबस्त को देखकर घटना को अंजाम नहीं दे पाए. 13 अप्रैल को अरुण मौर्या कचहरी के बाहर खड़ा होकर पूरे हालात का जायजा भी ले रहा था. वहीं कॉल्विन अस्पताल से मिले सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने ये दावा किया है कि 15 अप्रैल को शूटर लवलेश तिवारी सबसे पहले कॉल्विन अस्पताल के पास रात 9 बजकर 10 मिनट पर पहुंच था. जिसके 12 मिनट बाद दोनों शूटर सनी सिंह और अरुण मौर्या कॉल्विन अस्पताल पहुंचे थे.

सनी सिंह ने बनवाए थे तीन फर्जी आधार

लवलेश तिवारी अस्पताल के बाहर अतीक और अशरफ की जीप का इंतजार कर रहा था. जब अतीक अहमद को जीप से बाहर निकाला गया तो लवलेश तिवारी उसके पास पहुंचकर वीडियो बनाने का ड्रामा किया. वहीं सनी सिंह और अरुण मौर्या बाकी मीडिया कर्मियों के साथ खड़े होकर घुलने मिलने की कोशिश कर रहे थे. लवलेश वीडियो बनाते हुए कॉल्विन अस्पताल में मीडिया कर्मी के तौर पर प्रवेश किया था. जैसे ही अतीक अहमद और अशरफ कॉल्विन अस्पताल के गेट से अंदर पहुंचे सनी सिंह और लवलेश तिवारी ने अपनी जिगाना पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी, जबकि अरुण मौर्य की पिस्टल से सिर्फ दो फायर हुए और पिस्टल फंस गई थी. पुलिस ने अपनी चार्जशीट में शूटर सनी सिंह को ही इस हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड बताया है. तफ्तीश में पुलिस ने पाया है कि उसी ने अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की पूरी प्लानिंग की और इसके लिए उसने चित्रकूट के फर्जी नाम पते पर तीनों के आधार कार्ड भी बनवाए थे.

उमेशपाल हत्याकांड की चार्जशीट में अहम खुलासा

वैसे अपनी तफ्तीश में एसआईटी बेशक इन तीनों के पीछे किसी मास्टरमाइंड के होने की बात का पता न लगा सकी हो, प्रयागराज में हुए उमेशपाल हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी ने ये जरूर पता लगा लिया है कि उमेश पाल की हत्या में अतीक अहमद के दोनों नाबालिग बेटे अहजम और अबान भी शामिल थे. यूपी पुलिस ने 24 फरवरी को हुई उमेश पाल हत्या के सिलसिले में भी अदालत में चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में बताया गया है कि अतीक अहमद के वकील खान सौलत हनीफ ने अपने आईफोन से उमेशपाल के साथ-साथ उसकी पत्नी जयापाल की तस्वीर भी अतीक के बेटे असद को भेजी थी. इरादा उमेशपाल की पहचान शूटरों को बताना था. हत्या से तीन दिन पहले उमेशपाल की रेकी की गई थी और इसमें असद के साथ-साथ उसके दोनों नाबालिग भाई अहजम और अबान भी शामिल थे.

बरेली जेल में अशरफ से मुलाकात

पुलिस ने की चार्जशीट के मुताबिक सदाकत के मुस्लिम हॉस्टल में जब 18 फरवरी को उमेश पाल के कत्ल की तैयारियों के लिए कातिलों ने एक मीटिंग की, तो इसमें मोहम्मद गुलाम के साथ अतीक का नाबालिग बेटा अहजम भी मौजूद था. तब असद ने व्हाट्सएप कॉल पर साबरमती जेल से अतीक अहमद की गुलाम से बात करवाई थी. 11 फरवरी को बरेली जेल में अशरफ से मुलाकात करने के बाद सदाकत और मोहम्मद गुलाम अतीक के बेटे अली से मिलने 13 और 15 फरवरी को नैनी जेल पहुंचे थे. कत्ल की हर मीटिंग में शामिल होने के बावजूद सदाकत वारदात से ठीक दो दिन पहले अचानक प्रयागराज छोड़ कर भाग गया था, जिससे गुस्सा कर 23 फरवरी को गुड्डू मुस्लिम ने सदाकत को कॉल किया था और पूछा था कि वो कहां भाग गया? गुड्डू मुस्लिम ने उससे मोहम्मद गुलाम से बात करने के लिए भी कहा था.

चार्जशीट में शामिल हैं जेल की सीसीटीवी फुटेज और तस्वीरें

पुलिस ने अपनी चार्जशीट में 11 फरवरी को बरेली जेल में अशरफ से मुलाकात की सीसीटीवी फुटेज और 7 तस्वीरें भी लगाई हैं. इसके साथ ही 13 और 15 फरवरी को नैनी जेल में अली से हुई सदाकत, मोहम्मद गुलाम और गुड्डू मुस्लिम की मुलाकात की चार तस्वीरें भी चार्जशीट का हिस्सा है.

शाइस्ता ने सबको दिए थे पैसे

पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि वारदात को अंजाम देने के लिए शाइस्ता और असद ने ड्राइवर कैश अहमद, नौकर राकेश लाला, अरशद कटरा, नियाज अहमद, इकबाल अहमद उर्फ मोहम्मद सजर को दिए थे 80-80 हजार रुपए दिए, जबकि शाइस्ता ने शाहरुख को 50 हजार रुपये दिए थे. शाहरुख उर्फ शमशेर ने ही 24 फरवरी को असद के कहने पर शाइस्ता परवीन की ओर से दी गई राइफल शूटरों के लिए उनकी क्रेटा कार में रखी थी.

शूटर्स का कॉल रिकॉर्ड

चार्जशीट के मुताबिक सदाकत ने उमेश पाल की हत्या की साजिश के दौरान मोहम्मद गुलाम से कि 55 बार बात की थी. सदाकत के फोन नंबर 8318-138-400 से एनकाउंटर में मारे गए शूटर मोहम्मद गुलाम के मोबाइल नंबर 99568-27999 पर 55 बार नॉर्मल कॉल की गई थी. लेकिन फरवरी महीने की 6 तारीख के बाद सदाकत मोहम्मद गुलाम से व्हाट्सएप कॉल पर बात करने लगा था.

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