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इतिहास में पहली बार रुपया 70.50/$ तक गिरा, आम आदमी के लिए ये 4 ‘खतरे’

नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट आई है. रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. करेंसी मार्केट में ट्रेड के दौरान में रुपया पहली बार 70.50 के स्तर के पार हो गया है. रुपया में 42 पैसे की बड़ी गिरावट आई और यह 70.52 के स्तर पर फिसल गया. डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 22 पैसे की कमजोरी के साथ 70.32 के स्तर पर खुला था. बाजार के जानकारों के मुताबिक, रुपये में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. हालांकि, कल के कारोबार में रुपये में मामूली रिकवरी देखने को मिली थी. रुपया कल 6 पैसे की बढ़त के साथ 70.10 के स्तर पर बंद हुआ था. लेकिन, बुधवार को एक बार फिर रुपये में गिरावट गहरा गई. रुपया का अब तक का सबसे निचला स्तर 70.40 प्रति डॉलर था, 16 अगस्त रुपया इस स्तर पर पहुंचा था. लेकिन, आज यह स्तर पर भी टूट गया.

क्रूड और डॉलर पर नजर
रुपये में आगे भी गिरावट जारी रह सकती है. दरअसल, डॉलर के लगातार मजबूत होने से रुपया कमजोर हो रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दामों में पिछले कुछ सेशन में तेजी देखने को मिल रही है. हालांकि, मंगलवार को क्रूड की कीमतों में कमजोरी देखने को मिली थी. वहीं, मार्केट के दिग्गजों की नजर अमेरिका और कनाडा के बीच होने वाली NAFTA डील पर है. उम्मीद

अमेरिका के GDP नंबर पर नजर
रुपये की चाल के लिए अमेरिका के GDP नंबर पर भी नजर रहेगी. उम्मीद की जा रही है कि ग्रोथ 4.1 फीसदी के मुकाबले 4 फीसदी रह सकती है. उम्मीद से बेहतर ग्रोथ आने पर आगे भी डॉलर के मजबूती मिलने के आसार हैं.

रुपए की ट्रेडिंग रेंज
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ऑयल इम्पोर्टर्स और विदेशी बैंकों की तरफ से सरकारी बैंकों द्वारा बिक्री से रुपया गिर रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपया आज 70.10 से 70.60 की रेंज में ट्रेड कर सकता है. लेकिन, रुपये ने अगर 70.50 का स्तर तोड़ा तो गिरावट और गहरा सकती है.

रुपए में गिरावट से आम आदमी के लिए ये हैं 4 बड़े खतरे

1. पेट्रोल-डीजल हो सकता है महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपए के 70 के स्तर पार पहुंचने का असर क्रूड के इंपोर्ट पर पड़ेगा. इंपोर्ट्स को तेल की ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इसकी वजह से तेल कंपनियां रोजाना होने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आयात करता है. ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इंपोर्ट महंगा होगा तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं.

2. बढ़ सकती है महंगाई
देश में खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है. ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेगा. वहीं, एडिबल ऑयल भी महंगे होगे.

3. जरूरत की होगी महंगाई
अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे इन प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने की संभावना है.

4. ऑटो की बढ़ेंगी कीमतें
ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है. रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं.

किसे होगा फायदा
रुपए के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने का सबसे ज्यादा फायदा आईटी, फॉर्मा के साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर को होगा. इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है. ऐसे में डॉलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के साथ यूएस मार्केट में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को होगा. इसके अलासवा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का फायदा मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं.

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