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सीबीआई विवाद: RSS नेताओं के करीबी हैं CBI के अंतरिम प्रभारी एम नागेश्वर राव

नई दिल्ली। अंतरिम रूप से सीबीआई चीफ की जिम्मेदारी संभाल रहे एम नागेश्वर राव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अहम नेताओं के करीबी हैं। वह बीफ निर्यात के सख्त खिलाफ हैं और उन्हें हिंदुओं के सांस्कृतिक दबदबे का हिमायती माना जाता है। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को एक-दूसरे पर लगाए गए आरोपों की जांच होने तक अवकाश पर भेजे जाने के बाद राव को एजेंसी की कमान सौंपी गई है।

राव को करीब से जानने वालों ने बताया कि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने, ‘अल्पसंख्यकों का पक्ष लेने वाले व हिंदुओं से भेदभाव करने वाले’ कानूनों को रद्द कराने और बीफ एक्सपोर्ट पर रोक लगाने पर जोर देने वाले विभिन्न संगठनों के साथ राव काम करते रहे हैं। राव ने इस संबंध में इकनॉमिक टाइम्स की कॉल्स और टेक्स्ट मेसेज का जवाब नहीं दिया।

हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट राव ने आईआईटी मद्रास में रिसर्च किया था। बाद में वह आईपीएस में आए। राव 2016 में सीबीआई में आए और अंतरिम डायरेक्टर बनाए जाने से पहले वह जॉइंट डायरेक्टर थे। माना जाता है कि खासतौर से हिंदू पुनर्जागरण से जुड़े विषयों में उनकी दिलचस्पी है। वह इंडिया फाउंडेशन और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के कार्यक्रमों में प्राय: शामिल होते हैं। आरएसएस प्रचारक से बीजेपी नेता बने राम माधव से उनके करीबी संबंध बताए जाते हैं। इंडिया फाउंडेशन को माधव ही चलाते हैं।

बताया जाता है कि राव उन सात लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने खुद को हिंदू कहने वाले ऐक्टिविस्ट्स की ओर से 23 सितंबर को जारी किया गया चार्टर ऑफ हिंदू डिमांड्स तैयार किया था। उन कार्यकर्ताओं ने कहा था कि इस चार्टर को पीएम के सामने जल्द रखा जाएगा। इसकी जड़ें 25 अगस्त को नई दिल्ली में इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज में सृजन फाउंडेशन की ओर से किए गए एक आयोजन से जुड़ी हैं, जिसमें राव शामिल हुए थे। यह फाउंडेशन अपनी वेबसाइट पर दावा करता है कि वह भारतीय सभ्यता में नई जान डालना चाहता है और ‘भारतीयों के नजरिए से भारतीय इतिहास की जानकारी देकर वामपंथी-मार्क्सवादी इतिहासकारों के हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी आख्यान को बदलना’ चाहता है।

आयोजन में परिचर्चा के बाद राव ने करीब दो घंटे तक हिंदू कार्यकर्ताओं के साथ उन मुद्दों पर चर्चा की थी, जिन्हें जोरशोर से उठाया जाना चाहिए। फॉर्मर इंटरनल सिक्यॉरिटी अंडर-सेक्रटरी आरवीएस मणि ने मीटिंग में राव की मौजूदगी की पुष्टि की, लेकिन राव की सहभागिता के बारे में जानकारी नहीं दी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के फॉर्मर एसोसिएट प्रोफेसर भरत गुप्त ने बताया, ‘हिंदू चार्टर ऑफ डिमांड्स तैयार करने में राव भी शामिल थे।’

सृजन फाउंडेशन के फाउंडर राहुल दीवान ने पहली मीटिंग में राव की मौजूदगी की पुष्टि की, लेकिन कहा कि उनकी भूमिका ‘छोटी’ है। 22 सितंबर को 12 घंटे तक चली चर्चा में शामिल रहे एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि राव आयोजन स्थल होटल जायडस में आए तो थे, लेकिन ‘उन्होंने पहले ही हमसे कह दिया था कि अपने सरकारी पद के कारण वह हमारे आयोजनों में खुलकर शामिल नहीं हो सकते हैं।’

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