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B’day Special: टीम इंडिया के पहले कप्तान, इस अजब संयोग से मिली थी कप्तानी

नई दिल्ली। आज टीम इंडिया भले ही शीर्ष पर हो लेकिन अपने शुरुआत के दिनों में टेस्ट मैच खेलना ही टीम इंडिया के लिए काफी संघर्ष भरा था. बुधवार को देश अपने पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू को याद कर रहा है. पद्मश्री से सम्मानित होने वाले पहले क्रिकेटर सीके नायडू ने केवल 7 टेस्ट खेले.  नायडू को सबसे ज्यादा इस बात के लिए याद किया जाना जाता है कि नायडू पहले क्रिकेटर थे जिन्होंने कोई एंडोर्समेंट हासिल किया था. उन्हें पहले टेस्ट की कप्तानी भी कुछ अजीब संयोग से मिली थी.

31 अक्टूबर 1895 को महाराष्ट्र के नागपुर में उनका जन्म हुआ था. खेलों में आज के दौर में जहां 30 की उम्र पार करते ही खिलाड़ी के रिटायरमेंट पर बातें होने लगती हैं, वहीं एक दौर कर्नल सीके नायडू जैसे खिलाड़ियों का भी था. टीम इंडिया के करोड़ों फैंस में से कई भले उनके बारे में ज्यादा न जानते हों, लेकिन कर्नल सीके नायडू ही वही शख्स हैं, जिन्हें टीम इंडिया के पहले कप्तान होने का गौरव प्राप्त है. यानी जो विरासत आज धोनी और विराट संभाल रहे हैं, उसकी नींव कर्नल सीके नायडू ने ही रखी थी.

ऐसे मिली थी कप्तानी नायडू को
1932 में टीम इंडिया को इंग्लैंड के दौरे पर अपना पहला टेस्ट खेलने जाना था. इसके लिए खर्चा कोई और नहीं, बल्कि उस समय भारत कि शाही रियासत का सदस्य ही उठा सकते थे. इसलिए कप्तान उन्हीं में से एक बन सकता था और बना भी. विजानगरम के महाराजकुमार जो कि विजी के नाम से मशहूर थे, इस टीम के घोषित कप्तान थे उनके बाद पटियाला के महाराजा का नंबर था, लेकिन दोनों इंग्लैंड जाने की स्थिति में नहीं थे. तो कप्तानी पोरबंदर के महाराज को मिली जो इंग्लैड गए भी. पोरबंदर के महाराज ने अपनी क्रिकेटीय सीमाओं को देखते हुए सीके नायडू का कप्तान सौंप दी. इस प्रकार नायडू टीम इंडिया के कप्तान बने.

CK Nayudu Birth day
                                                                                                    बीसीसीआई ने साल2017 में सीके नायडू को उनका जन्मदिन पर ऐसे याद किया था. 

बल्लेबाज के साथ ही तेज गेंदबाजी भी करते थे नायडू
मजेदार बात ये है, कि जिस उम्र में खिलाड़ी रिटायरमेंट लेते हैं, उस उम्र में कर्नल को टेस्ट टीम की कमान मिली. इंग्लैंड के खिलाफ जून 1932 में जब उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच खेला, तब उनकी उम्र 37 साल हो चुकी थी. उन्होंने भारत की ओर चार साल में कुल 7 टेस्ट मैच खेले. इसके अलावा उन्होंने अपने जीवन में कुल 207 फर्स्ट क्लास मैच खेले. कर्नल सीके नायडू ने अपना आखिरी फर्स्ट क्लास मैच 67 साल की उम्र में खेला. सात टेस्ट मैच में उन्होंने दो अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाए. नायडू तेज गेंदबाजी भी करते थे. उन्होंने भारत की ओर से 7 मैचों में 9 विकेट लिए.

बच्चे क्लास छोड़ देते थे उनकी बैटिंग देखने के लिए. 
सीके नायडू का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करिअर भले ज्यादा न चला हो, लेकिन उन्होंने फर्स्ट क्लास मैचों में अपने खेल से जमकर लोकप्रियता हासिल की थी. 1926-27 में उन्होंने मुंबई में 100 187 गेंदों पर 153 रनों की पारी खेली थी. इस पारी में उन्होंने 11 छक्के लगाए. इसमें से एक छक्का तो जिमखाना की छत पर जा गिरा. इस मैच के बाद उन्हें चांदी का बल्ला भेंट किया गया. एक क्रिकेट राइटर डिकी रोनेगर ने लिखा है कि ये वो वक्त था जब सीके जिमखाना में बल्लेबाजी करने उतरते थे, तो बच्चे क्लास छोड़ दिया करते थे. बिजनेसमेन अपनी ट्रेडिंग रोक देते थे.

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