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रुपये-रुपये के लिए मोहताज हुआ पाकिस्तान, छिनने वाली हैं 10 लाख लोगों की नौकरियां

नई दिल्ली। पाकिस्तान की माली हालत बेहद खराब है. महंगाई आसमान छू रही है और निवेश बंद है. यहां महंगाई दर 9.14 फीसदी पर पहुंच चुकी है, जिससे लोगों को जरूरत के सामान खरीदने में भी दिक्कतें आ रही हैं. देश पर हजारों करोड़ डॉलर का कर्ज है. अर्थव्यवस्था को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान लगातार वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से कर्ज की मांग कर रहा है. 1980 से अब तक पाकिस्तान IMF से 12 बार कर्ज की मांग कर चुका है. अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मदद नहीं मिलने के बाद आखिरकारपाकिस्तान को चीन का सहारा मिला और उसने 2 अरब डॉलर देने का वादा किया है. कुल मिलाकर पाकिस्तान  को आर्थिक रूप से जिंदा रखना इमरान खान के सामने बहुत बड़ी चुनौती है.

पाकिस्तान की हालत पर दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर समय रहते महंगाई पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो अर्थव्यवस्था की गाड़ी पूरी तरह बंद हो जाएगी. इससे गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 40 लाख से और  बढ़ जाएगी, साथ ही 10 लाख लोगों की रोजगार चली जाएगी.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक,  अर्थव्यवस्था को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान के पास कर्ज लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. मित्र देश चीन और सऊदी अरब से मदद जरूर मिली है, लेकिन यह उतनी नहीं है कि गाड़ी रफ्तार पकड़ सके. ऐसे में इमरान खान सरकार के पास केवल दो विकल्प बचते हैं. पहला विकल्प है कि वे इसका बोझ जनता पर डाल दें, या फिर अर्थव्यवस्था वाली गाड़ी को ऐसे ही चलने दें जो आखिरकार दम तोड़ देगी.

यूनाइटेड नेशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान की विकास दर 4.2 फीसदी के आसपार रहेगी. 2020 में यह दर घटकर 4 फीसदी पर पहुंच जाएगी. इस दौरान 2019 में पड़ोसी मुल्क भारत की अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी, बांग्लादेश की 7.3 फीसदी और नेपाल और मालदीव की 6.5 फीसदी की रफ्तार से विकास करेगी.

पाकिस्तान में महंगाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक लीटर पेट्रोल की कीमत 99 रुपये तक पहुंच चुकी है. वहीं, इमरान सरकार ने कहा कि आने वाले दिनों में बिजली और गैस की कीमतें भी बढ़ाई जाएंगी. पाकिस्तानी रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है. एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत गिरकर 142 रुपये के करीब पहुंच चुकी है.

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