जहां तक हो सके एक रात में एक ही बार संभोग करना चाहिए और दूसरी बार संभोग करने के बीच में कम से कम 4-5 दिन का अंतर रखना चाहिए. जब यह बात पक्के तौर पर मालूम हो जाए कि स्त्री को गर्भ ठहर गया है तो शुरुआती 3 महीनों तक उसके साथ संभोग नहीं करना चाहिए. इसके बाद चौथे, पांचवे और छठे महीनें में दोनों की इच्छा से और सावधानी से संभोग क्रिया की जा सकता है.
मासिकधर्म के दिनों में स्त्री के साथ संभोग करने से दूर रहना चाहिए. नई-नवेली दुल्हन शर्म आदि के कारण पति को मासिकधर्म के बारे में नहीं बता पाती है. इसलिए पति के लिए यह जरूरी है कि इस बात का पूरी तरह निश्चय हो जाने के बाद ही संभोग करे जब लगे कि स्त्री का मासिकधर्म बंद हो चुका है.
थकान होने पर, सिर में दर्द होने पर, वीर्य रोग में, जिगर, मूत्राशय, फेफड़े, आंख, मेदा, हृदय और मस्तिष्क में किसी रोग के हो जाने पर संभोग नहीं करना चाहिए. बच्चे के जन्म लेने के कम से कम 1.5 महीने तक स्त्री के साथ संभोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इतने समय से पहले स्त्री की बच्चेदानी अपने स्वाभाविक रूप में नहीं आ पाती है.